मसूरी , PAHAAD NEWS TEAM

राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं पुराना दरबार हाउस ऑफ़ आर्किलाॅजिकल एंड अर्काइयल कलेक्शन ट्रस्ट उत्तराखंड के संयुक्त तत्वाधान में पांडुलिपियों के संरक्षण एवं जागरूकता के लिए शिविर एवं उत्तराखंड की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की प्रदर्शनी का आयोजन नगर निगम सभागार में विश्व विरासत दिवस पर आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में महाराजा टिहरी ने स्मृति चिन्ह, शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर इतिहास, संस्कृति को बढ़ावा देने वाली हस्तियों का सम्मान किया.

बतौर मुख्य अतिथि महाराजा मनुजेंद्र शाह ने नगर पालिका सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि हमारी विरासत और संस्कृति को बचाने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को उसे परोसना जरूरी है. क्योंकि युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की ओर भाग रही है। उन्होंने कहा कि हमें अपने इतिहास, संस्कृति, बोली को बढ़ावा देने के साथ-साथ पांडुलिपियों को बचाने के लिए भी आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की जरूरत है ताकि दुनिया हमारे समृद्ध इतिहास और संस्कृति के बारे में जान सके। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि सामाजिक संगठन इस दिशा में काम करें और वहां जो पांडुलिपियां हैं उन्हें इकट्ठा कर घर-घर ले जाएं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है, इसलिए इसकी सांस्कृतिक विरासत के प्रति संवेदनशील होना सभी का कर्तव्य है और युवाओं से इसे आगे बढ़ाने में सहयोग करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के श्रीधर बारिक ने कहा कि यहां मिशन इतिहास और संस्कृति से संबंधित पांडुलिपियों को बढ़ावा देना और संरक्षित करना और उन्हें लोगों के लिए सुलभ बनाना है। कार्यक्रम में नगर अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता की जरूरत है. मिशन जो काम कर रहा है वह बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि गोपाल भारद्वाज का मसूरी में दो सौ साल का इतिहास और पांडुलिपियां हैं, जिसके लिए नगरपालिका एक संग्रहालय का निर्माण कर रही है, जिसका उद्घाटन अगले कुछ महीनों में नगरपालिका के दो सौ साल पूरे होने पर किया जाएगा.

चंद्रकुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान उत्तराखंड के अध्यक्ष डा. योगबंर सिंह बर्त्वाल ने कहा कि टिहरी राजशाही का अपना समृद्ध इतिहास है और कई पांडुलिपियां हैं जिन्हें खोजने और संरक्षित करने की आवश्यकता है। प्रदर्शनी में महाराजा सुदर्शन शाह द्वारा रचित सभागार, रतन कवि द्वारा रचित फतेह शाह, गुरु गोबिंद सिंह हाथ द्वारा रचित विचित्र नाटक, शंकर गुरु द्वारा रचित वास्तु शिरोमणि के साथ-साथ तंत्र ग्रंथ, ज्योतिष ग्रंथ, गढ़वाली भाषा में रचित मंत्र ग्रंथ विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र हैं । इसके अलावा कई घरों में पांडुलिपिया हैं जिनके बारे में किसी को जानकारी नहीं है कि उन्हें सामने लाया जाए।

कार्यक्रम में इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने कहा कि उनके पास मसूरी से जुड़ा काफी इतिहास है, इसके अलावा भी कई पांडुलिपियां हैं जिन्हें संरक्षित करने की जरूरत है. कार्यक्रम को गणेश सैली, समीर शुक्ला आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन उत्तराखंड के समन्वयक व पुराना दरबार ट्रस्ट के समन्वयक भवानी प्रताप सिंह ने सभी का स्वागत किया और कहा कि वर्तमान समय में इस तरह के आयोजन करना आवश्यक है। ताकि आम लोगों को सांस्कृतिक विरासत और उनकी बोली जाने वाली भाषा, संस्कृति से अवगत कराया जा सके। अर्चना डिमरी के प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका निभाने के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया ।

पालिका सभापति प्रताप पंवार, दर्शन रावत, जसोदा शर्मा, आरती अग्रवाल, मनीषा खरोला, विजय रमोला, राकेश अग्रवाल, रमेश भंडारी समेत बड़ी संख्या में लोग इस मौके पर मौजूद थे.