मसूरी , पहाड़ न्यूज टीम

पहाड़ों की रानी मसूरी में इन दिनों सैलानी औषधीय गुणों से भरपूर स्वादिष्ट और स्वादिष्ट जंगली फल काफल का लुत्फ उठा रहे हैं. इसका खट्टा मीठा स्वाद हर किसी को अपना दीवाना बना लेता है. इसके पेड़ की औसत ऊंचाई 20 से 40 फीट होती है। यह फल अप्रैल से जून के बीच पक जाता है। काफल उत्तराखंड का राज्य राज्य वृक्ष है। इसका वानस्पतिक नाम ‘मेरिका एस्कूलेंटा’ है और यह मिरिकेसियाई परिवार का हिस्सा है।

गर्मी के मौसम में माल रोड पर घूमने वाले सैलानी जब सड़क के किनारे बैठे लाल सुर्ख दानों को देखते हैं तो उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। और इसका स्वाद चखने को आतुर है। यहां के जंगली पहाड़ी फल हर किसी को अपने स्वाद का दीवाना बना लेते हैं। काफल दो हजार मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। उत्तराखंड में इसका महत्व इस बात से पता चलता है कि इस फल पर कई गीत, कविताएं और कहानियां लिखी गई हैं और यह इसकी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। आजकल मसूरी के आसपास के जंगल काफल फलों से लदे हैं जिन्हें ग्रामीण बाजार में लाते और बेचते हैं। इस तरह यह फल मसूरी के आसपास के ग्रामीणों के लिए भी आमदनी का जरिया है। मॉल रोड पर विभिन्न जगहों पर ग्रामीण टोकरियों में कफल बेचते नजर आ रहे हैं. विदेशी पर्यटक भी इस फल में खास दिलचस्पी दिखाते हैं और इसकी जानकारी मिलने के बाद इसकी मांग कर रहे हैं. यह बाजार में 100 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। इसके पेड़ की छाल भी बहुत उपयोगी होती है जिसके कारण इसके पेड़ को संरक्षित वृक्षों की श्रेणी में रखा गया है। कफल में विटामिन, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके साथ ही यह कई प्राकृतिक तत्वों और ग्लाइकोसाइड्स से भी भरपूर होता है। इसकी पत्तियों में लावेन-4, हाइड्रॉक्सी -3 पाया जाता है। कफल के पेड़ की छाल, फल और पत्तियों को भी औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। कफल की छाल में एंटी इंफलेमेंटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं।

मानसिक रोग सहित कई रोगों को दूर करें

इतने सारे गुणों से भरपूर फल न सिर्फ इम्युनिटी बढ़ाता है, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम में भी काम करता है। इसके साथ ही काफल की छाल, अदरक, दालचीनी, अस्थमा, डायरिया, बुखार, पेचिस और फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए उपयोगी है। इसके साथ ही इसके पेड़ की छाल का चूर्ण सर्दी, नेत्र रोग, खांसी, दमा जैसे रोगों से राहत देता है। इसके अलावा इसकी छाल दांत दर्द, कान दर्द में बहुत उपयोगी होती है। काफल के फूल का तेल व्यापक रूप से कान दर्द, दस्त और लकवे की बीमारी के लिए प्रयोग किया जाता है।