ग्रामीण मछली पकड़ने नदी में उतरे जौनपुर के ऐतिहासिक मौण मेले में
नैनबाग टिहरी गढ़वाल , पहाड़ न्यूज टीम
जौनपुर का ऐतिहासिक मौण मेला रविवार को धूमधाम से मनाया गया। अगलाड़ नदी में टिमरू का चूर्ण डालकर ग्रामीणों ने मौण मेले की शुरुआत की। इस दौरान मेले में सिलवारपट्टी के कई गांवों के ग्रामीण शामिल हुए, इस बार टिमरू का चूर्ण बनाने की बारी सिलवारपट्टी की थी. इसके बाद ग्रामीण नदी में उतरे और मछलियां पकड़ी।
जौनपुर प्रखंड की संस्कृति की एक अलग पहचान मौण मेला है। राजशाही के समय से ही ग्रामीण इस पर्व को मनाते आ रहे हैं। रविवार की दोपहर 12:30 बजे टिमरू का चूर्ण अगलाड़ नदी में विशेष पूजा के बाद नदी में प्रवाहित किया गया. जिस पर बच्चे, जवान और बूढ़े एक साथ मछली पकड़ने नदी में उतरेंगे। इस बार सिलवाड पट्टी की बारी थी टिमरू का चूर्ण बनाकर मौण डालने की, जौनपुर में मौण मेला मनाने की अनूठी परंपरा है। टिहरी के राजा नरेंद्र शाह ने 1811 में स्वयं अगलाड नदी में आकर मौण डाली थी, तभी से यह मेला मनाया जाता है।
मॉनसून की शुरूआत के साथ ही जून के अंतिम सप्ताह में मछली मारने के सामूहिक मौण मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में क्षेत्र के हजारों की संख्या में बच्चे, युवा और बुजुर्ग नदी की धारा के साथ मछलियां पकड़ने उतर जाते हैं.
इस मेले में पटटी सिलवाड, छैज्यूला, आठजयूला, लालूर, इडवालस्यूं जौनसार, उतरकाशी, मसूरी सहित आसपास के 114 गांव के लोगों ने भाग लिया.
इस अवसर पर मौण मेला विकास समिति के अध्यक्ष महिपाल सिंह सजवाण ( बैल) , उपाध्यक्ष गोपाल सिंह बर्तवाल (भटौली ), सचिव जयपाल सिंह राणा (सड़ब) , कोषाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत (टटोर) , महामंत्री महेशानंद (खैराड) , सदस्य आनंद रावत (कांडी) , राजेश सजवाण (सैजी) ,सिया कुमार (परोगी) , पूरण चौहान (सड़ब मल्ला) , राजेंद्र सिंह (भूटगाँव) , राकेश रावत आदि लोग उपस्थित थे
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