कोई बड़ी साजिश की शुरूवात है ये जिसमें गरीब किरायेदार को कुचल कर रसूखदार और अपने चहते और मनपसंद लोगों को बिठाने का प्रयत्न है।

मसूरी , पहाड़ न्यूज टीम

मसूरी व्यापार मंडल अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने मसूरी नगर पालिका पारिषद के अधिशासी अधिकारी के खिलाफ मानव अधिकार आयोग पोर्टल पर शिकायत की है. शिकायत में कहा गया है कि नगर पालिका द्वारा कई वर्षों से नगर पालिका की दुकानों का किराया वसूला जा रहा है. ऐसे में कई दुकानों को तोड़ा गया, जो उचित नहीं है. उन्होंने पूरे मामले की जांच की मांग की है।

मसूरी नगर पालिका पारिषद के अधिशासी अधिकारी द्वारा मसूरी की जनता और दुकानदारों का मानव अधिकारों का हनन किया जा रहा है और उत्पीड़न किया जा रहा है।

जिन दुकानदारों पर या व्यापरियों पर नगर पालिका पारिषद, मसूरी द्वारा कई सालों से रसीद दी गई है उनको अतिक्रमण की श्रेणी में लिया जा रहा है और इनकी विधिक राय नगर पालिका अपने अधिवक्ता से लिये बिना ही कार्यवाही कर रही है और गरीब किरायेदार को परेशान कर उजाड़ रही है बिना समय दिये, बिना कोई नोटिस दिए, किसी भी किराएदार को अपनी बात कहने और रखने का समय नहीं दिया जा रहा है।

पूर्व में सभी ऐसे किरायेदार को नगर पालिका द्वारा रसीद दी गई है, और ऐसा पिछले 40 वर्ष से हो रहा है।

अब अधिशासी अधिकारी नगर पालिका द्वारा बिना किसी नोटिस को दिये और बिना समय दिये और बिना किसी प्रकार के चिह्नीकरण के किसी को उजाड़ा जा रहा और किसी को कुछ नहीं कहा जा रहा।

क्या नगर पालिका पारिषद द्वारा पारित आदेश और बोर्ड में पारित किरायेदार या किराया की रसीद की कोई अहमियत नहीं?

आज अतिक्रमण की श्रेणी में क्यों जब अब तक पिछले कई वर्षों से नगर पालिका किराया वसूल करती आ रही है।

अगर नगर पालिका द्वारा स्वयं ही रसीद काटी गई है ऐसे में ऐसे सभी दुकानदार और व्यापारी नगर पालिका द्वारा अधिकृत माने गये हैं तो आज कार्यवाही कैसी?

क्या पिछले कई वर्षों से नगर पालिका के किरायेदार अचानक से अनाधिकृत और अतिक्रमणकारियों की श्रेणी में आ गये।

क्या वर्तमान में नगर पालिका अधिकारी पुराने बोर्ड की कार्यवाही को गलत ठहराने में इच्छुक हैं?

क्यों नगर पालिका अधिशासी अधिकारी इन रसीद धारकों को अतिक्रमण की श्रेणी में ले रहे हैं?

क्या नगर पालिका अपने सभी किरायेदार से पल्ला झाड़ नए सिलसिले से अपने मनपसंद किरायेदार बिठाना चाहती है???

क्या अधिशासी अधिकारी पैसे के लोभ में ऐसा कर रहे हैं और आज तक सभी बोर्ड की कार्यवाही को भंग मान रहे हैं?