नैनबाग, जौनपुर टिहरी गढ़वाल से उपेंद्र सिंह रावत “जौनपुरी” की रिपोर्ट

शांति सिंह मल्याल जी एक ऐसे व्यक्तित्व रहे हैं जो स्वयं विचारों में प्रगाढ़ थे, जिन्होंने भले कभी स्कूल और किताबों की दुनिया ना देखी हो लेकिन उनके जीवन के अनुभव उन किताबों से कई ज्यादा रहे हैं।गांव का सामान्य किसान जिसके पास खेती-बाड़ी के अलावा कोई आय का साधन नही था। खेती-किसानी से परिवार को पाला-पोसा और उनका बनाया परिवार आज देवन गांव में एकता की मिशाल है। परिवार को बांधे रखना और अच्छे संस्कारों के साथ परिवार को संचालित करना जैसी सीख आज हम सबके लिए छोड़कर गए हैं।

खेती-किसानी के साथ-साथ बकरी पालन, घोड़े-खच्चरों का पालन जैसी कई सीख पूरे क्षेत्र के लिए छोड़कर गए हैं। गांव के विकास, क्षेत्र के उन्नयन में हर क्षण अग्रणी भूमिका में रहे हैं। अपनी बात को समझाने का उनका तरीका काबिले तारीफ रहा है। गांव, क्षेत्र के इतिहास के साथ-साथ आध्यात्मिक जगत व रामायण-महाभारत के ज्ञान से परिपूर्ण थे।

नई पीढ़ी के लोगों से उनका लगाव हमेशा से रहा है, व्यक्ति को समझने और परखने का उनका अंदाज बिल्कुल भिन्न था। नए लोगों को प्रोत्साहित करना और आगे बढ़ाने में सहयोग करना हमेशा से उनकी कोशिश रही है। मैं जब भी उनके पास बैठता था तो कहते थे कि बेटा तुम्हारी पीढ़ी में मुझे तुमसे काफी उम्मीदें है। बस कभी अपने मूल से अलग मत होना। वो कहते थे कि मृत्यु केवल मरने से ही नही आती एक मृत्यु वो भी है जब व्यक्ति अपने मूल से कट जाता है और गांव, क्षेत्र, समाज से दूरी बना लेता है। एक बेहतर प्रतिष्ठित कृषक के साथ-साथ मल्याल जी एक प्रतिष्ठित सामाजिक व्यक्ति भी रहे हैं।