हल्द्वानी। चैत्र संक्रांति 15 मार्च को है और इसी दिन कुमाऊं फूलदेई का पारंपरिक पर्व भी मनाया जाएगा। इसके बाद से बसंत ऋतु शुरू हो जाएगी। इस साल 15 मार्च को शीतलाष्टमी भी पड़ेगी। मीन संक्रांति के दिन भूमि, वस्त्र और दान का महत्व होता है। पूरे चैत्र माह में बहन-बेटियों को भिटौली देने की भी परंपरा है।

यह माह भाइयों की ओर से भिटौली, पकवान, दक्षिणा देने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। फूलदेई के दिन कन्याओं को चावल, गुड़, दक्षिणा, फूल देकर संतुष्ट करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जिस घर में वधू को सम्मान के साथ पूजा और दक्षिणा देकर फूलों की शय्या पर विदा किया जाता है उस घर में लक्ष्मी का वास होता है। इस मास में भिटौली को बहनों की याद में देने से समस्त पापों का नाश होता है तथा बहनों के आशीर्वाद से भाइयों के अनेक कुलों का उद्धार होता है।

यह माह भाइयों की ओर से भिटौली, पकवान, दक्षिणा देने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। फूलदेई के दिन कन्याओं को चावल, गुड़, दक्षिणा, फूल देकर संतुष्ट करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, फूलदेई में जिस घर की देहली पर पूजन कराकर व दक्षिणा देकर कन्या को सम्मान सहित विदा किया जाता है, उसमें लक्ष्मी का वास होता है। इस माह बहनों को यादकर भिटौली देने से सभी पापों का नाश और बहनों का आशीर्वाद भाईयों के कई कुलों का उद्धार करता है।

त्रिभुवन उप्रेती ने बताया कि इस दिन सूर्य देव प्रात: 6:34 बजे कुम्भ राशि से मीन राशि में गोचर करेंगे जिससे कुम्भ सौर पक्षी मास समाप्त होकर चैत्र सौर मास प्रारंभ होगा जिसे खर मास अर्थात काला मास भी कहा जाता है। चूंकि यह खर मास है, विवाह समारोहों और महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यों के लिए 14 अप्रैल तक इंतजार करना पड़ता है।