देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व है. इन दोनों दिनों में कन्या पूजन किया जाता है। नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. मां दुर्गा का यह रूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है। साथ ही नौवें दिन 9 कन्याओं को देवी स्वरूप में वस्त्र भेंट कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. नवरात्रि के आखिरी दिन रामनवमी भी मनाई जाती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विशेष कल्याणकारी मानी जाती है। नवमी के दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर मंदिर की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता की मूर्ति की स्थापना करें। फिर दीप प्रज्ज्वलित करें और हाथों में फूल लेकर मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। ऐसा माना जाता है कि सिद्धिदात्री को लाल और पीला रंग पसंद है। इसलिए उनके मनपसंद नारियल, खीर और पंचामृत का भोग लगाएं। वहीं लाल रंग की चुनरी ओढ़ाकर श्रृंगार पिटारी अर्पित करें ।
वहीं नवमी के दिन चंडी हवन करना बहुत शुभ माना जाता है। सिंह पर सवार मां सिद्धिदात्री का कोमल रूप अत्यंत आकर्षक है। माता की चार भुजाओं में एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में शंख और एक हाथ में कमल का फूल है। मां की आराधना करने से हर तरह का ज्ञान आसानी से मिलता है। मान्यताओं के अनुसार सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव ने अनेक सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था । इसलिए भगवान शिव अर्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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