14 मई को प्रसिद्ध इष्ट देव भद्रराज देवता की पुरानी और नई पालकी को गंगा स्नान हेतु हरिद्वार ले जाया जाएगा। 14 मई को देवता की पालकी को सुबह 5 बजे से 7:00 बजे के बीच मटोगी मैं बावडी मैं स्नान करने के बाद भद्रराज मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। तथा उसी दिन मंदिर में वापिस मटोगी और डेवीथला के रास्ते हरिद्वार जाएगी।

14 मई को देवता की पालकी हरिद्वार में रहेगी। तथा 15 मई सुबह बरम मुहूर्त में 4:00 बजे से 5:00 बजे के बीच पुरानी और नई पालकी दूध एव गंगाजल से पुजारी, वजीर, एव पासवा की उपस्थिति में मंत्रोच्चारण के साथ स्थान तथा उसी समय स्नान के बाद पुरानी पालकी का गंगा में विसर्जन किया जाएगा। उसके बाद उसी क्रम में नई पालकी का स्थान होगा तथा पुरानी पालकी के चिन्ह नहीं पालकी में बहामन वजीर एव देव डोलियों के वचनों के अनुसार नई पालकी में रखे जाएंगे।

15 मई को पुरानी पालकी विसर्जन तथा नई पालकी का स्नान करने के बाद पालकी हरिद्वार ते बाया देवथला होते हुए मटोगी भद्रराज जाएगी। पालकी रास्ते में कहीं भी नहीं रुकेगी

भद्रराज मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश नौटियाल ने देव पालकी के दर्शन हेतु सभी भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने की अपील की है. साथ ही 15 मई को घि या माई सक्रांति के उपलब्ध में भद्रराज मंदिर में होने वाले पूजा पाठ के आयोजन सहित भंडारे में अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं को गरीब परिवार के सुख समृद्धि के लिए बलभद्र महाराज के आशीर्वाद हेतु मंदिर में भक्तों को आमंत्रित किया है।

13 मई को जो श्रद्धालु जौनपुर , जौनसार ,मसूरी या अन्य स्थानों से शाम को मटोगी आएंगे उनके लिए रहने खाने की व्यवस्था की गई है. जिसमें समस्त ग्राम क्षेत्रवासियों एव नौजवानों के मदद की अपेक्षा की जाती है

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