पौड़ी , पहाड़ न्यूज़ टीम

जिले के सुदूर प्रखंडों में तैनात शिक्षक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. कई बार दूर-दराज के इलाकों में शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं तो कई जगहों पर स्कूलों में ताला लगा रहता है। लेकिन इस बार एक नया प्रकरण देखने को मिला है. जिले के एकेश्वर प्रखंड के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने स्कूल में अपने खर्चे पर एक प्रॉक्सी टीचर यानी दूसरी लड़की को रख लिया . यह युवती प्रधानाध्यापिका की जगह गर्व से स्कूल में पढ़ा रही थी।

प्रधानाध्यापिका की शिकायत लंबे समय से हो रही थी : इस प्रधानाध्यापिका की लंबे समय से शिकायत हो रही थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस पर पहले कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले को लेकर अब शिक्षा विभाग के अधिकारी जाग गए हैं। मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी, प्राथमिक शिक्षा ने प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही बीईओ कार्यालय एकेश्वर को प्रधानाध्यापिका से जोड़ा गया है।

शिक्षक को 10 हजार रुपए के ठेके पर रखा था : मुख्य शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा आनंद भारद्वाज के अनुसार इस विद्यालय की प्रधानाध्यापिका द्रौपदी मधवाल द्वारा कई बार अकारण ही विद्यालय बंद रखा जा रहा था. इतना ही नहीं प्रधानाध्यापिका ने गांव की एक लड़की को पठन पाठन के लिए अपनी जगह पर रख लिया था। जो स्कूल में प्रधानाध्यापिका के सभी विषयों को पढ़ाती थी। बदले में प्रधानाध्यापक उसे 10 हजार रुपये प्रति माह देती थी । इसके साथ ही कई औचक निरीक्षण में स्कूल भी बंद पाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीईओ और डीईओ बेसिक ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है।

प्रधानाध्यापिका का है 70 हजार वेतन : द्रौपदी मधवाल एकेश्वर प्रखंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंठोली में पिछले चार साल से पदस्थापित थीं. इस प्रधानाध्यापिका की सैलरी हर महीने 70 हजार के करीब है. द्रौपदी मधवाल पिछले चार साल से ज्यादातर समय से स्कूल से गायब हैं। पिछले करीब पांच महीने से गांव की एक लड़की जिसे उसके स्थान पर दस हजार रुपये महीने के ठेके पर रखा गया था, इस दौरान छात्रों को पढ़ा रही थी. बताया जा रहा है कि स्कूल ज्यादातर दिनों तक बंद रहा। पता चला है कि द्रौपदी मधवाल मैदानी क्षेत्र के कोटद्वार की रहने वाली है. उन्हें दुर्गम जगह पर तैनाती पसंद नहीं थी। ऐसे में वह घर बैठे तनख्वाह उड़ा रही थीं। वहीं प्रधानाध्यापिका की इस लापरवाही का खामियाजा क्षेत्र के गरीब छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है.