पौड़ी/श्रीनगर, पहाड़ न्यूज़ टीम

उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं (जंगल में आग के मामले बढ़े हैं). पौड़ी जिले में जंगल में आग लगने से लाखों रुपये की वन संपदा जल कर राख हो गई है. पौड़ी जिले के श्रीनगर और कीर्तिनगर में जंगल में आग लगने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. पौड़ी जिला मुख्यालय (पौड़ी में जंगल की आग) से सटे स्मृति जंगल में सोमवार को आग लग गई. जंगलों में लगी यह आग रिहायशी इलाके तक पहुंच गई थी, जिससे कॉलोनियों में कोहराम मच गया. काफी मशक्कत के बाद वन विभाग और दमकल की टीम ने आग पर काबू पाया और लोगों को खतरे से बचाया.

सुबह 3 से 4 बजे के बीच लगी आग : जानकारी के अनुसार पौड़ी में आरटीओ कार्यालय के पीछे स्मृति वन में सुबह 3 से 4 बजे के बीच आग लग गई. कुछ ही समय में यह आग विकराल रूप ले चुकी थी। जंगल की आग धीरे-धीरे रिहायशी इलाके की तरफ फैलने लगी, जिससे इलाके में अफरातफरी मच गई. मामले की सूचना मिलते ही वन विभाग और दमकल की टीम भी मौके पर पहुंची और जंगल में लगी आग पर काबू पाया. प्रभारी दमकल अधिकारी रणधीर सिंह ने बताया कि स्मृति वन में आग लगने की सूचना मिलते ही दमकल की टीम आनन-फानन में मौके पर पहुंची. जंगल की आग से आरटीओ, कोषागार, खंड कार्यालय, पीआरडी गेस्ट हाउस भी आग की चपेट में आ सकती हैं.

पाबौ पैठाणी के जंगलों में भी लगी भीषण आग: श्रीनगर से सटे पाबौ पैठाणी के जंगलों में सोमवार को भीषण आग लग गई. स्थानीय लोगों को डर था कि कहीं जंगल की आग रिहायशी इलाके में न पहुंच जाए. इस आग के मौसम में श्रीनगर रेंज में जंगल में आग लगने के 71 मामले सामने आए हैं, जिसमें 116.50 हेक्टेयर वन संपदा जलकर राख हो गई है. वनों की आग से नष्ट हुई समस्त वन संपदा सभी वन पंचायतों की भूमि के अंतर्गत आती है। श्रीनगर रेंज के जंगलों में लगी आग से अब तक वन विभाग को साढ़े तीन लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है.

ऐसा ही हाल कीर्तिनगर रेंज में भी देखने को मिल रहा है। यहां अब तक 31.50 हेक्टेयर जंगल को जलाकर नष्ट कर दिया गया है. इसमें से 16 हेक्टेयर आरक्षित क्षेत्र और 5 हेक्टेयर नागरिक वन शामिल हैं। विशेषज्ञ सरकार की गलत नीतियों को जंगलों में लगी इस आग की वजह मान रहे हैं. गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरके मैखुरी लंबे समय से उत्तराखंड की जैव विविधता पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि वन विभाग और सरकार फरवरी में ही जंगल में लगी आग को लेकर रोड मैप तैयार कर लें, जो नहीं बना है.

वन विभाग आधुनिक तरीकों से जंगल की आग को रोक सकता है। जिन क्षेत्रों में जंगल में आग लग रही है, उन्हें जीआईएस और रिमोट सेंसिंग के जरिए चिन्हित किया जाए। प्रोफेसर आरके मैखुरी का कहना है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जंगल के प्रति मोह कम हो गया है, जिसके पीछे सरकार की नीतियों को दोष देना है. सरकारों ने जंगल पर लोगों की निर्भरता को समाप्त कर दिया। इसके साथ ही जंगल में लोगों के अधिकार भी समाप्त कर दिए गए, जो जंगल में आग लगने का एक बड़ा कारण है। अगर सरकार फिर से जंगलों में लोगों का हक लौटाती है, तो जंगल में आग की घटनाओं में तेजी से कमी आएगी।