राहुल गांधी को मोदी उपनाम मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी जीत मिली, जिसने सज़ा पर रोक लगा दी और विधायिका में उनकी सदस्यता होगी बहाल ।

मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है. इस मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी है. जज ने राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा, ‘जब तक सेशन कोर्ट में अपील लंबित है तब तक हम राहुल की सजा पर रोक लगा रहे हैं।’ राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने पर कांग्रेस ने कहा, यह नफरत पर प्यार की जीत है. सत्यमेव जयते-जय हिंद.

राहुल गांधी के मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी. राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि शिकायतकर्ता (पूर्णेश) का मूल उपनाम खुद मोदी नहीं है. उनका मूल उपनाम भुताला है। तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है. सिंघवी ने कोर्ट को यह भी बताया कि जिन लोगों का नाम राहुल ने लिया है, उन्होंने केस दर्ज नहीं कराया है. उन्होंने कहा, ये लोग कहते हैं कि 13 करोड़ लोग मोदी नाम के हैं, लेकिन अगर ध्यान से देखें तो दिक्कत सिर्फ बीजेपी से जुड़े लोगों को हो रही है.

राहुल को अधिकतम सजा दी गई.
कोर्ट में राहुल की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मानहानि के मामले में सबसे ज्यादा सजा दी गई है. इसका नतीजा ये होगा कि राहुल गांधी 8 साल तक जन प्रतिनिधि नहीं बन पाएंगे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट ने 66 दिनों के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया है. राहुल लोकसभा के दो सत्रों में शामिल नहीं हो सके.

जस्टिस गवई ने कहा- लेकिन ट्रायल जज ने अधिकतम सजा सुनाई है
जिस पर जस्टिस गवई ने पूछा कि ट्रायल जज ने अधिकतम सजा क्या दी है. इसका कारण भी विस्तार से नहीं बताया गया है. जस्टिस गवई ने आगे कहा कि इस तरह की सजा देने से न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र के अधिकारों पर असर पड़ रहा है.

ट्रायल जज ने लिखा है कि सांसद होने के आधार पर आरोपी को कोई विशेष छूट नहीं दी जा सकती. आदेश में कई सलाह भी शामिल हैं. गुजरात से इन दिनों बहुत दिलचस्प ऑर्डर आ रहे हैं.

महेश जेठमलानी ने कहा कि राफेल मामले में भी राहुल गांधी ने कहा था कि चौकीदार चोर है. बाद में उन्होंने अदालत में जवाब दिया कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान उत्साह में आकर ऐसा कहा था. यानी तब भी गलती को सीधे तौर पर स्वीकार करने की बजाय उस पर बहस करने की कोशिश की गई. आख़िरकार कोर्ट की फटकार के बाद उन्होंने बिना शर्त माफ़ी मांग ली.

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है
राहुल पर आदेश पारित करते हुए पीठ ने कहा, ‘चूंकि राहुल की अपील सत्र न्यायालय में लंबित है, इसलिए हम मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।’ जहां तक ​​राहुल की सजा पर रोक की बात है तो ट्रायल कोर्ट ने राहुल को मानहानि की अधिकतम सजा तो सुना दी लेकिन इसकी कोई खास वजह नहीं बताई.

2 साल की सजा ने राहुल को जन प्रतिनिधित्व कानून के दायरे में ला दिया है, अगर सजा कम होती तो उनकी सदस्यता नहीं जाती. इसमें कोई शक नहीं कि राहुल का बयान अच्छा नहीं था. सार्वजनिक जीवन में बयान देते समय संयम बरतना चाहिए।

ट्रायल कोर्ट के इस फैसले से राहुल के अलावा उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों के अधिकार भी प्रभावित होंगे. इसलिए, हम सत्र न्यायालय में अपील लंबित रहने तक राहुल की सजा पर रोक लगाते हैं।

क्या इस सत्र में संसद में दिखेंगे राहुल गांधी?
निचली अदालत के फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर वायनाड सीट को रिक्त घोषित कर दिया. अब इसे वापस लेते हुए नया नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा या फिर पुराना नोटिफिकेशन वापस लिया जा रहा है. यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें कितना समय लगेगा. इसमें एक दिन या एक महीना भी लग सकता है.

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