जौनपुर , पहाड़ न्यूज टीम

जौनपुर का पवित्र धाम नाग टिब्बा हम सभी जौनपुर वासियों के लिए आस्था का केंद्र है. साथ ही वन संम्पदा जीव जंतु, पशु चारागाह , आदि विशिष्ट केंद्र भी है. गुज्जर डेरी आने से आस्था संम्बंधी पूजा-पाठ वह धाम की पवित्रता पर प्रभाव पड़ता है साथ ही स्थानीय पशु पालकों के चारागाह वह अन्य संपदा संबंधी प्रभाव भी बहुत नुकसान पंहुचाता है .

यह बात हम वन विभाग को पूर्व में भी बता चुके है लेकिन शासन व प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है .जबकि गुर्जर डेरी के गुर्जर मालिकों के पास सरकार द्वारा प्रमाणित या स्वीकृति पत्र भी नहीं रहता है

बड़े दुर्भाग्य की बात है कि पालिगाड़,सिलवाड,इडवालसयुं , लालूर तथा पूरे जौनपुर के मध्यस्थ नागटिब्बा धाम में हम सभी के आराध्या नागदेव के पवित्र धाम में हम आप सभी एकजुट होकर गुज्जर डेरी पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं हमारे धाम और जंगल आदि को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से गुज्जर डेरी के आने से नुकसान हो रहा हैं जो सार्वजनिक है इसीलिए हम आप सभी इस ओर ध्यान नहीं दे रहें हैं। जबकि शासन-प्रशासन को इस विषय में पूर्व में कई बार अवगत करा चुके हैं।

जौनपुर क्षेत्र के लोगो ने माँग की है कि आप सभी अपने आराध्य नागदेव और अपने भविष्य को देखकर एकजुट होकर गुज्जर डेरी आने के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं। इस विषय को कृपया राजनीतिक मुद्दा न बनाएं, बल्कि एक सच्चे सनातन धर्म से होने के नाते अपना धर्म समझें। और अपने आराध्य देव के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा और विश्वास रखें। और जो भी विधर्मी अपनी शेषनाग की पवित्र धरा पर उसे अपवित्र करने की कोशिश करता हुआ दिख रहा है कृपया उसे अपनी जिम्मेदारी सझकर इसका पुरजोर विरोध करें।

आप सभी सनातन धर्म के अनुयायियों से विनम्र निवेदन है कि कृपया आप इनका सार्वजनिक रूप से देव धरा से निष्कासित करने के विषय में चिंतन करें और जो भी सज्जन गुज्जरों के प्रति अपनी वकालत करने की कोशिश करता है उसे ऐसी फटकार लगाई जाए जो पुनः इस विषय के प्रति सोचने से पहले करोड़ो बार सोचें।

वन अधिकारी जी उक्त समस्या का समाधान हेतु गुर्जर डेरी पर प्रतिबंध लगाने की कृपा करें।