देहरादून। बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक-2022 सहकारी आंदोलन के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा। इस विधेयक में जोड़े गए नए प्रावधान सहकारी समितियों की कार्यप्रणाली को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाएंगे। प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने लोकसभा में बिल पास होने पर प्रधानमंत्री और केंद्रीय सहकारिता मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सहकारी क्षेत्र के लिए बेहतर साबित होगा.
राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि बहुराज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक-2022 का लोकसभा में पारित होना ऐतिहासिक है। इसके लिए डॉ. रावत ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय सहकारिता मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस संशोधन से सहकारी समितियों के प्रबंधन और नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद खत्म होगा और आम लोगों को सहकारी समितियों से जुड़ने का मौका मिलेगा।
विभागीय मंत्री डाॅ. रावत ने कहा कि स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए विधेयक में एक चुनाव प्राधिकरण का प्रावधान है, जो लगभग चुनाव आयोग की तरह है और इसमें सरकारी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं होगी. इसके अलावा, विधेयक सहकारी सूचना अधिकारी चुनाव प्राधिकरण और सहकारी लोकपाल का भी प्रावधान करता है।निदेशक मंडल में एक-तिहाई जगह खाली होने पर फिर से चुनाव कराये जायेंगे। समितियों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों को प्रत्येक 3 माह में बोर्ड मीटिंग बुलानी आवश्यक होगी। इक्विटी शेयरधारक को बहुमत का प्रावधान रखकर समिति के शासन में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया गया है।
डॉ. रावत ने सहकारी क्षेत्र में सुधार करने और इसे बहुपक्षीय बनाने के लिए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को पुनर्जीवित किया। केंद्र में अलग मंत्रालय बनने के बाद से 63 हजार पैक्सों का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की सभी 670 समितियां कम्प्यूटरीकृत हो चुकी हैं, जो राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। राज्य में अनाज भण्डारण क्षमता बढ़ाई जा रही है, जिसके लिए पर्वतीय जिलों में नये गोदाम बनाये गये हैं।
विभागीय मंत्री ने कहा कि सहकारिता के तहत संचालित विभिन्न योजनाओं से बड़े पैमाने पर लोग लाभान्वित हो रहे हैं. उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय सहकारी किसान कल्याण योजना के बारे में बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 90230 लाभार्थियों को 624.84 करोड़ ब्याज मुक्त ऋण वितरित किये गये।जबकि वर्ष 2017 से जून 2023 तक इस योजना के तहत 7 लाख से अधिक लाभार्थी किसानों को 4347 करोड़ रुपये का ब्याज रहित ऋण उपलब्ध कराया गया। जिससे लाभार्थियों को काफी फायदा हुआ और किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिली।
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