उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में एक पिता ने अपनी बेटी की खुशी और सरकारी स्कूल में खेलने के लिए सुविधाओं की कमी के लिए जीवन भर की कमाई दान कर एक मिसाल पेश की है. पिता स्वयं कक्षा दो तक शिक्षित है और बकरी पालन कर परिवार का भरण-पोषण करता है, उसकी पुत्री कक्षा सात में स्कूल में पढ़ती है। स्कूल में खेल का मैदान नहीं है तो पिता ने अपनी कमाई बच्चों की खुशी के लिए दान कर दी।

अपने बच्चों की सुविधाओं के लिए तो हर शख्स प्रयास करता है लेकिन जब गैरों के बच्चों के लिए कोई हदों को पार करके कुछ कर दे तो उसे ईश्वर तुल्य तो कहा ही जा सकता है। दर्जा दो तक पढ़े करुली के ईश्वरी लाल साह ने स्कूल के बच्चों के कल को बेहतर बनाने के लिए अपना खेत बेचा और उससे मिली ढाई लाख रुपये की रकम स्कूल को दान कर दी।

अपना खेत बेच दिया, 2.5 लाख रुपए स्कूल को दान कर दिए
हर माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और जीवन की खुशियां देने के लिए कठोर कदम उठाने को तैयार रहते हैं। लेकिन दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों के साथ-साथ दूसरों के बच्चों के बारे में भी सोचते हैं। बागेश्वर जिले के करूली के ईश्वरी लाल साह की भी कुछ ऐसी ही सोच है। ईश्वरी लाल ने स्कूल के बच्चों की खुशी के लिए अपना खेत बेच दिया और उसमें से ढाई लाख रुपए स्कूल को दान कर दिए। ईश्वरी लाल साह बकरियां पालते हैं।

खेत बेचकर पिता ने ढाई लाख रुपए दान में दिए
वे जूनियर हाई स्कूल करूली के आसपास रहते हैं। उनकी बेटी भी इसी स्कूल में पढ़ती है। इस स्कूल में वे ज्यादातर यही देखते थे कि बच्चों के खेलने की कोई व्यवस्था नहीं है. एक दिन उन्होंने अपनी बेटी को भी स्कूल को दान करने की बात कही । एक दिन अचानक उसकी बेटी ने फिर पूछा कि वह स्कूल में खेलने का दान कब देंगे । लिहाजा पिता ने खेत बेचकर ढाई लाख रुपए दान में दे दिए।

राजकीय जूनियर हाई स्कूल करूली में 32 बच्चे पढ़ते हैं

स्कूल के प्रधानाचार्य नरेंद्र गिरी गोस्वामी और सीईओ बागेश्वर जीएस सौन ने 58 वर्षीय ईश्वरी लाल साह की इस पहल का स्वागत किया है और सभी से इससे सीखने की अपील की है. राजकीय जूनियर हाई स्कूल करूली में 32 बच्चे पढ़ते हैं। चारदीवारी और खेल का मैदान न होने के कारण स्कूल को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन अब ईश्वरी लाल की पहल पर काम शुरू हो रहा है।

ईश्वरी लाल साह बकरियां चराते हैं, पेट की मजबूरी हो तो मजदूरी भी करते हैं। बकरियां चराने के दौरान वह अक्सर जूनियर हाई स्कूल करूली भी जाते हैं। यहां उन्होंने देखा कि बच्चे कच्ची जगह पर खेल रहे थे। स्कूल में चारदीवारी नहीं है, इसलिए कई बार जानवर स्कूल की चारदीवारी में कूड़ा कर देते हैं। मैंने मन ही मन सोचा कि स्कूल अच्छा कैसे हो। तब उन्होंने फैसला किया कि वह अपने खेत को स्कूल के खेल के मैदान के लिए बेच देंगे।

ईश्वरी लाल की बेटी इसी स्कूल की सातवीं कक्षा की छात्रा है। ईश्वरी कहती हैं कि बच्चों को खेलते देख उन्हें अपने बचपन के दिन याद आ गए। स्कूल के दिनों में उन्हें दुनिया के बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन आजकल बच्चे सब कुछ जानते हैं। ऐसे में उन्हें सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए। अपने दान को बहुत छोटा मानते हुए उनका कहना है कि उनसे जितना हो सकता था उतना किया। उनके द्वारा दान की गई राशि से अब स्कूल में ग्राउंड व बाउंड्रीवॉल का निर्माण कराया जाएगा।

– विद्यार्थियों के सुलेखन के दम पर प्रदेश में स्कूल पहले से ही चर्चा में है। अब 58 वर्षीय ईश्वरी लाल साह की यह मदद शायद इस स्कूल को एक दानवीर की नजीर के रूप में देखे। स्कूल में चल रहे विकास कार्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी ईश्वरी लाल साह को ही दी है, ताकि राशि का सदुपयोग हो सके।

नरेंद्र गिरी गोस्वामी, प्रधानाध्यापक

-ईश्वरी लाल साह ने सराहनीय कार्य किया है। इससे पहले एक पुरातन छात्र ने भी अमस्यारी विद्यालय के विकास कार्य के लिए मदद की थी। उम्मीद है भविष्य में अन्य लोग भी ऐसे ही नेक कार्य के लिए आगे आएंगे।

– जीएस सौन, सीईओ बागेश्वर।

हीरो ऑफ द डे – बागेश्वर के ईश्वरीय लाल शाह ने अपने जीवन भर की कमाई स्कूल को दान करते हुए एक महत्वपूर्ण दान दिया।