उत्तरकाशी,

सिलक्यारा सुरंग में डी-वाटरिंग के पहले चरण को सफलता पूर्वक पूरा कर लिया गया है। डी-वाटरिंग के पहले चरण के तहत एसडीआरएफ के पांच जवान और पांच सीनियर व जूनियर इंजीनियर सहित कुल दस लोग पांच घंटे तक सुरंग के अंदर रहे। वे उसी 800 एमएम के उन्हीं पाइपों से अंदर गए थे, जिनसे हादसे के बाद श्रमिकों को बाहर निकाला गया था। अंदर गए जवान-इंजीनियरों ने वहां गैस और रिसाव से जमा पानी चेक किया। एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि सभी चीजें सामान्य हैं, चिंता की कोई बात नहीं है। डी-वाटरिंग के पहले चरण के सफलतापूर्वक पूरा होने से अधिकारी व जवान उत्साहित हैं।
दरअसल, यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग का निर्माण कार्य 12 नवंबर को हादसे के बाद से ही बंद है। सुरंग के अंदर रिसाव से जमा होने वाले पानी को भी बाहर नहीं निकाला जा सका है। बीते माह 23 जनवरी को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कार्यदायी संस्था को सुरंग का निर्माण शुरू करने की अनुमति दी थी, लेकिन सुरंग में आए मलबे के कारण डी-वाटरिंग शुरू नहीं हो पाई। डी-वाटरिंग से पहले अब सुरंग में सुरक्षात्मक कार्य पूरे कर लिए गए हैं। जिसके तहत सिलक्यारा वाले मुहाने से 150 से 200 मीटर तक क्षैतिज सुदृढ़ीकरण और सुरंग धंसने जैसी स्थिति में बचाव के लिए 80 से 203 मीटर तक 800 एमएम के ह्यूम पाइप बिछाए गए हैं। डी-वाटरिंग के पहले चरण लिए एसडीआरएफ के पांच जवान और पांच सीनियर व जूनियर इंजीनियरों का दल ऑगर मशीन से डाले गए पाइपों से भीतर दाखिल हुआ। इस दौरान दल ने सुरक्षा बरतते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर, नी व एल्बो गार्ड, टॉर्च से लेस हेलमेट व कैमरा आदि का प्रयोग किया। एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने डी-वाटरिंग के पहले चरण के सफलतापूर्वक पूरा होने की जानकारी देते हुए बताया कि यह चरण रात 9.30 बजे तक चला। इस दौरान वह बाहर से ही दल के सदस्यों को गाइड करते रहे। बताया कि दल ने अंदर हादसे के बाद से फंसी मशीनों को चेक करने के साथ वहां गैस और पानी की जांच की है। सभी चीजें सामान्य हैं और नियंत्रण में हैं। किसी तरह की चिंता की बात नहीं है। पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद अब सुरंग में डी-वाटरिंग का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा। जो कि सबमर्सिबल पंप चालू करने का होगा। बताया कि सुरंग में जमा पानी को धीरे-धीरे निकाला जाएगा।