उत्तराखंड : New By Mili Gupta

लॉकडाउन के बाद से सभी स्कूल बंद रहे। कोरोना काल के रहते भले ही शिक्षण संस्थानों के लिए यह साल कितना भी मुश्किलों भरा रहा परन्तु सभी शिक्षण संस्थानों ने एक मिसाल भी कायम करी है, सभी शिक्षण संस्थानों द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है,जंहा इसका लाभ सभी छात्रों को मिला है, इसका दूसरा पहलू यह भी रहा कि कोरोनाकाल के चलते स्कूलों को डिजिटल एजुकेशन से जुड़ने का मौका भी मिला। वही दूसरी ओर इससे छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर भी पड़ा है। 
15 मार्च 2020 को उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला मिला था। विदेश से शैक्षिक भ्रमण से लौटे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी का प्रशिक्षु आईएफएस कोरोना संक्रमित मिला था। उस समय प्रदेश में कोविड जांच की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी। जांच के लिए सैंपल चेन्नई भेजे गए। इसके बाद उत्तराखंड में कोरोना के केस बढ़ते गए। उस समय प्रदेश की मौजूदा स्वास्थ्य सिस्टम के सहारे सरकार के सामने कोरोना  से लड़ने की सबसे बड़ी चुनौती थी। स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों,अस्पतालों में ऑक्सीजन व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते कोरोना से लड़ना आसान नहीं था।

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कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने 22 मार्च 2020 से लॉकडाउन की घोषणा कर दि। जिसमे आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सभी गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गयी। इस बीच सरकार का पूरा फोकस स्वास्थ्य सेवाओं पर ही था। इसके लिए सरकार ने अस्पतालों में किसी भी तरह के इंतजामों को करने में बजट की कमी को आड़े नहीं आने दिया। स्वास्थ्य महानिर्देशक के साथ ही मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को स्वास्थ्य व्यवस्थाएं जुटाने के लिए बजट खर्चे का अधिकार दिया गया। सरकार व विभाग का एक ही लक्ष्य था कि किस तरह से कोरोना संक्रमण का सामुदायिक फैलाव रोका जाए। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों, पैैरामेडिकल स्टाफ, नर्सों के साथ फ्रंट लाइन कोरोना योद्धाओं ने रात दिन ड्यूटी पर मुस्तैद रह कर कोरोना से जंग लड़ी। सरकार ने वेंटीलेटर,ऑक्सीजन सिलिंडर, पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर, दस्तानों की पर्याप्त व्यवस्था कराई गयी। कोरोना के दौरान स्वास्थ्य विभाग के पास सौ वेंटीलेटर भी नहीं थे। वहीं, अस्पतालों में ऑक्सीजन युक्त बेड की संख्या भी पर्याप्त नहीं थी। परन्तु इस बीच सरकार ने कोरोना मरीजों के उपचार के लिए बुनियादी व्यवस्थाओ पर जोर दिया। 
बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को कोरोना संक्रमण रोकने के लिए 14 दिन क्वारंटीन में रखा गया। इसके लिए जिलों में सरकारी भवनों व निजी होटलों में क्वारंटीन सेंटर बनाए गए। वहीं, संक्रमण से बचाव के लिए कंटेनमेंट जोन बना कर लोगों की आवाजाही व अन्य गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया। कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश में लगभग तीन लाख प्रवासी उत्तराखंड लौटे हैं। प्रवासियों के लौटने से प्रदेश में संक्रमण में भी तेजी आई थी। प्रदेश में कोरोना काल के 280 दिन पूरे हो गए।अब तक 16 लाख से अधिक सैंपलों की जांच की गई है। इनमें 86 हजार से अधिक लोग संक्रमित मिले हैं। जबकि 77 हजार से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। वहीं, 1413 कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है।