मुंबई : टिकाऊ कृषि समाधानों में दुनियाभर में अग्रणी यूपीएल अपने दूरदर्शी दृष्टिकोण के माध्यम से कृषि में सस्टेनेबिलिटी की क्रांति लाने में अगुवा है। पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और दुनिया भर में किसानों को समर्थन देने की अटूट प्रतिबद्धता के साथ यूपीएल टिकाऊ समाधानों की अपनी क्षमता का लगातार विस्तार कर रही है।

सस्टेनेबिलिटी के लिए यूपीएल की दृढ़ प्रतिबद्धता उसके टिकाऊ उत्पाद पोर्टफोलियो और टिकाऊ कृषि सेवा और प्रौद्योगिकी समाधानों के माध्यम से 2040 तक जीएचजी उत्सर्जन को 1 जीटी तक कम करने के उसके संकल्प से जाहिर होती है। कंपनी 2030 तक अपशिष्ट जल प्रदूषण को खत्म करने के मिशन में वर्ल्ड बिजनेस काउंसिल फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (डब्ल्यूबीसीएसडी) के शुरुआती तीन वैश्विक भागीदारों में से एक है।

कंपनी को वर्तमान में सस्टेनलिटिक्स द्वारा ईएसजी प्रदर्शन में नंबर वन फसल संरक्षण कंपनी का दर्जा दिया गया है। मिट्टी के स्वास्था से लेकर उन्नत संकर बीजों से लेकर फसल कटाई के बाद अपशिष्ट में कमी, जल दक्षता से लेकर कार्बन पृथक्करण तक -यूपीएल किसानों के साथ मिलकर काम कर रही है और इसने उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए विभिन्न पहल की है।

यूपीएल का शाश्वत मिठास प्रोजेक्ट सस्टेनेबिलिटी के प्रति उसके दृढ़ समर्पण का उदाहरण है। यह परियोजना पूरे भारत में यूपीएल और चीनी मिलों के बीच एक अभूतपूर्व सहयोग का प्रतीक है, जिसका लक्ष्य गन्ना किसानों के लिए स्थाई समाधान प्रदान करना है। यह पहल गन्ना किसानों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों का समाधान करती है, जिनमें खराब पैदावार बढ़ती लागत, श्रम की कमी और पानी की कमी शामिल है।

चीनी की खेती की जल- गहन और संसाधन खपत प्रकृति को पहचानते हुए यूपीएल प्रोनुटिवा पहल से कृषि में सुरक्षा और पोषण को जोड़ती है। इस पहल में जेबा प्रौद्योगिकियों का उपयोग शामिल है, जो प्राकृतिक स्टार्च से प्राप्त एक पेटेंट स्मार्ट तकनीक है और पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है। जेबा प्रौद्योगिकियों सहित प्रोनुटिवा को लागू करके यूपीएल का लक्ष्य पुणे में 3,500 एकड़ में गन्ने की उपज में 15% की प्रभावशाली वृद्धि हासिल करना है, जिससे अक्टूबर 2023 तक 1,200 से अधिक किसानों को लाभ होगा।

जेबा प्रौद्योगिकी के उपयोग से उल्लेखनीय जल संरक्षण हुआ है, प्रति एकड़ लगभग 600,000 लीटर पानी की बचत हुई है और यूरिया उर्वरक के उपयोग में 50 किलोग्राम / एकड़ की कमी आई है। ये प्रयास पानी की कमी को कम करने और गन्ने की खेती से जुड़े एग्री फुटप्रिंट को कम करने में योगदान देते हैं। यूपीएल के दूरदर्शी लक्ष्य पुणे से कहीं आगे तक फैले हैं।

कंपनी वित्त वर्ष 2024 तक कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में अतिरिक्त 15 चीनी मिलों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रही है। अगले तीन वर्षों में, यूपीएल का लक्ष्य 1,000,000 एकड़ के कुल परिचालन क्षेत्र को कवर करते हुए 100 चीनी मिलों के साथ सहयोग करना है। इन सहयोगों से गन्ने की पैदावार बढ़ेगी, लाभप्रदता में सुधार होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

चीनी मिलों के साथ साझेदारी में काम शामिल हैं, जिसमें गुड एग्रोनॉमिकल प्रैक्टिसेज (जीएपी) पर सलाहकार सेवाएं, प्रोनुटिया का कार्यान्वयन, उन्नत उपकरणों का उपयोग करने वाला मशीनीकरण और नर्चर फार्म ऐप के माध्यम से ट्रेसबिलिटी शामिल है। ये उपाय किसानों को गन्ना नर्सरी स्थापित करने के लिए सशक्त बनाते हैं, जिससे साथी किसानों को गन्ने के बीज की बिक्री के अवसर मिलते हैं।

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