देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव नई एम-थ्री ईवीएम मशीनों से होंगे। इसके लिए राज्य निर्वाचन कार्यालय ने 18400 नई ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का ऑर्डर दिया है। ये नई ईवीएम मशीनें संचालित करने में आसान हैं, थोड़ी छोटी हैं और कम समय में स्थापित की जा सकती हैं। इन मशीनों से छेड़छाड़ की संभावना बेहद कम है। इनके साथ छेड़छाड़ होते ही ये काम करना बंद कर देती हैं।

उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में केंद्रीय चुनाव आयोग की गाइडलाइंस के मुताबिक प्रदेश में सभी पुरानी ईवीएम एम-टू मशीनों को बदला जा रहा है. उनकी जगह नई एम-थ्री ईवीएम मशीनें लाई गई हैं। ये एम-थ्री मशीनें कई मायनों में खास हैं। इसकी पहली विशेषता यह है कि एक ईवीएम में 24 बैलेट यूनिट जोड़ी जा सकती हैं। एक बैलेट यूनिट में 16 उम्मीदवार होते हैं। यानी अगर किसी विधानसभा क्षेत्र में 384 उम्मीदवार खड़े भी हों तो उनका चुनाव ईवीएम के जरिए आसानी से हो जाएगा. पहले एम-टू ईवीएम मशीन में सिर्फ चार बैलेट यूनिट को जोड़ा जा सकता है। यानी जब तक 64 उम्मीदवार थे तब तक ईवीएम मशीन से चुनाव हो सकता था. इससे अधिक संख्या में उम्मीदवारों के होने की स्थिति में मतपत्र के प्रयोग की व्यवस्था थी।

इसमें एम-थ्री ईवीएम की दूसरी खासियत यह है कि यह छोटी-मोटी खामियों का स्वतः ही पता लगा लेती है। सॉफ्टवेयर में खराबी की स्थिति में इसे डिस्प्ले स्क्रीन में प्रदर्शित किया जा सकता है। इससे मशीन को जल्दी ठीक करने में मदद मिलेगी। एम-टू मशीनों में यह सुविधा नहीं थी इसलिए कई बार इन्हें ठीक करना काफी मुश्किल होता था। इसकी तीसरी विशेषता यह है कि कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट एक ही डिजिटल सिग्नेचर से चलेगी। यानी कंट्रोल यूनिट से किसी अन्य बैलेट यूनिट का संचालन नहीं किया जा सकता है। इससे चुनाव में पारदर्शिता आएगी।

इसके साथ ही मशीन से किसी प्रकार की छेड़छाड़ की स्थिति में मशीन का सिस्टम फैक्ट्री मोड में चला जाएगा। यह मशीन काम करना बंद कर देगी। ऐसे में इसकी जगह नई मशीनें लगानी होंगी। इसका एक और फायदा यह है कि वे वोट छापने में भी सक्षम हैं। राज्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि सभी चुनाव नई मशीनों से कराये जायेंगे. जल्द ही अधिकारी इन मशीनों का प्रशिक्षण शुरू कर देंगे।