देहरादून : आज विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले सीएम धामी ने युवाओं को स्वस्थ रहने का संदेश दिया. सीएम धामी ने भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा परिसर में सूर्य नमस्कार के बाद शासन व प्रशासन के अधिकारियों के साथ मॉर्निंग वॉक की. इसके बाद उन्होंने क्षेत्रीय लोगों और युवाओं से बातचीत की और युवा पीढ़ी को स्वस्थ रहने का संदेश दिया।

विधानसभा सत्र की शुरुआत आज राज्यपाल के अभिभाषण के साथ हुई है. जो 18 मार्च तक चलेगा। सीएम धामी भी सत्र में पहुंच गए हैं. विधानसभा सत्र के दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी अपनी-अपनी परीक्षा देंगे. इस बार सत्र करीब आठ महीने बाद हो रहा है। इस दौरान तीनों दिग्गजों ने अपने-अपने तरह के शासन से राजनीतिक उथल-पुथल देखी है।

विपक्ष के तरकश में मुद्दों के तीर जमा हो गए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सत्ता पक्ष का कवच अपनी लहर से तीरों को कितनी अच्छी तरह रोक पाता है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण के सामने भराड़ीसैंण में अपना पहला सत्र प्रभावी ढंग से चलाने की चुनौती है.

उनके पास पिछले सीजन की तरह स्टाफ भी नहीं है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी पूरी कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं। ये सीजन के दौरान दिग्गजों के सामने आने वाली चुनौतियां होंगी।

यशपाल आर्य : कुनबे को एकजुट रखना और मुद्दों को भुनाना

सदन में विपक्ष की रणनीति नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के हाथ में होगी. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है. लोक सेवा आयोग एवं अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती परीक्षा घोटाला, रोजगार, देहरादून लाठीचार्ज, कानून व्यवस्था का मुद्दा। आर्य के सामने एक बड़ी चुनौती अपने कुनबे को एक साथ रखने की भी होगी। कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा सदन के बाहर मोर्चा निकालेंगे। उनका नेतृत्व कांग्रेस अधिवेशन के पहले दिन सोमवार को गैरसैंण जायेगे ।

ऋतु भूषण खंडूड़ी : कठिन परिस्थितियों में सत्र आयोजित करने की चुनौती

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी के पास भराड़ीसैंण में सत्र संचालन की पूरी जिम्मेदारी है. गैरसैंण में यह उनका पहला सत्र है। लेकिन स्थिति उनके लिए इतनी अनुकूल नहीं है। 228 बैकडोर कर्मचारियों को खत्म करने के बाद उनकी टीम के पास सीमित संख्या में कर्मचारी रह गए हैं।

सत्तापक्ष से लेकर विपक्षी सदस्यों, अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए आवासीय व अन्य व्यवस्थाएं जुटाना देहरादून जितना सहज नहीं है। सदन चलाने के साथ-साथ यह सत्र संगठन की दृष्टि से वक्ता के नेतृत्व कौशल का भी परीक्षण करेगा।

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