देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM
राज्य सरकार के फैसले से पहले ही निजी बस संचालकों ने किराया दोगुना कर दिया है। गुरुवार को, स्टेज कैरिज परमिट बसों में यात्रियों से दोहरी या मनमाना किराया लेने की शिकायतें मिलती रहीं । बस ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार ने 50 प्रतिशत यात्री क्षमता के साथ काम करने को कहा है, जिसमें ईंधन की लागत पूरी नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में किराया बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। वहीं, किराया दोगुना करने के बारे में जानने के बावजूद परिवहन दल चुप बैठा रहा और कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस दौरान यात्रियों और परिचालकों के बीच झड़प की शिकायतें मिलती रहीं ।
सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को सरकार द्वारा जून में संचालित करने की अनुमति दी गई थी जब कोरोना लॉकडाउन पिछले साल हुआ था, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। बाद में, सरकार ने 23 जून को किराए को दोगुना करने के लिए किराए में संशोधन किया। सितंबर में परिचालन सामान्य होने पर किराया वृद्धि वापस ले ली गई थी, जिससे यात्री वाहनों को पूरी क्षमता से संचालित किया जा सके। अब सरकार ने यात्री वाहनों में दोबारा 50 प्रतिशत यात्री बैठाने के नियम लागू कर दिए हैं, लेकिन किराये पर कोई निर्णय नहीं लिया। वाहन संचालकों ने इस आदेश का पालन नहीं किया, लेकिन सोमवार से परिवहन विभाग की कार्रवाई के बाद, ट्रांसपोर्टरों ने परिवहन मुख्यालय को एक ज्ञापन सौंपकर किराया दोगुना करने की मांग की थी। चेतावनी दी थी कि अगर सरकार ने फैसला नहीं लिया तो बुधवार से बसें दोगुना किराया वसूलना शुरू कर देंगी। बताया जा रहा है कि बुधवार की सुबह सरकार का फैसला नहीं होने से नाराज ट्रांसपोर्टर्स ने निजी बसों का किराया दोगुना कर दिया। रामनवमी की छुट्टी के कारण किराया दोगुना लेने की जानकारी गुरुवार को परिवहन विभाग को मिली ।
सरेंडर कर देंगे बस नहीं बढ़ा किराया तो , आज फैसला होगा
देहरादून स्टेज कैरिज ऑपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राम कुमार सैनी ने कहा कि अगर सरकार किराया दोगुना नहीं करती है तो निजी बसों का संचालन करना उचित नहीं होगा। सैनी ने कहा कि ऐसी स्थिति में, पहले ही तरह बसें सरेंडर कर दी जाएंगी । शुक्रवार को एसोसिएशन की बैठक बुलाई गई है, जिसमें परमिट सरेंडर करने पर फैसला लिया जा सकता है। एसो. का आरोप है कि सरकार निजी बस ऑपरेटरों के साथ खिलवाड़ कर रही है। सरकार रोडवेज को करोड़ों का पैकेज देती है, जबकि निजी बस ऑपरेटर क्या करें । यदि सरकार टैक्स, बीमा और फिटनेस शुल्क आदि को माफ करती है, तो सामान्य किराए पर संचालन पर विचार किया जा सकता है।
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