देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

हेमवती नंदन बहुगुणा के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘हेमवती नंदन बहुगुणा: भारतीय जनचेतना के संवाहक ‘ का नई दिल्ली में विमोचन किया गया है। जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए। इस मौके पर सीएम धामी ने कहा कि हिमालय के बेटे हेमवती नंदन बहुगुणा के इरादे हिमालय की तरह थे और हिमालय टूट सकता है लेकिन झुक नहीं सकता. उनके द्वारा किया गया कार्य हमें सदैव प्रेरणा देता रहेगा।

सीएम धामी ने कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपनी अनूठी बौद्धिक प्रतिभा के बल पर भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान बनाई। वहीं प्रयागराज की सांसद और पूर्व मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने भी अपने पिता और यूपी के पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा की जीवनी पर आधारित इस किताब में राजनीति के कई अहम राज उजागर किए हैं. ऐसे में इस किताब को लेकर विवाद भी सामने आ रहा है.

हेमवती को नहीं हरा सकीं इंदिरा : प्रयागराज सांसद डॉ. रीता ने भी अपनी किताब में कई खुलासे किए हैं. किताब में उल्लेख किया गया है कि 1980 में कांग्रेस नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के इंदिरा गांधी के साथ मतभेद सामने आने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। 1981 में गढ़वाल में हुए उपचुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने उन्हें हराने की काफी कोशिश की.

हेमवती नंदन बहुगुणा ने आपातकाल का विरोध किया रीता बहुगुणा जोशी ने अपनी पुस्तक (हेमवती नंदन बहुगुणा: भारतीय जनचेतना के संवाद) में भी उल्लेख किया है कि बहुगुणा और इंदिरा के बीच मतभेद बढ़ गए थे। कांग्रेस छोड़ने से पहले उन्होंने 1980 के चुनाव में तीस लोगों के लिए टिकट मांगा था। इंदिरा ने मना किया तो कांग्रेस पर संजय गांधी का काफी प्रभाव था।

उनके आगे-पीछे लोग चलते थे। हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया और टिकट के लिए संजय गांधी के पास नहीं गए। उन्होंने आपातकाल का भी विरोध किया था और इंदिरा से फोन पर कहा था कि आपने ये क्या किया है।