हल्द्वानी , PAHAAD NEWS TEAM

चुनावी साल में सल्ट के उपचुनाव को 2022 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। अपने मंत्री से लेकर संगठन पदाधिकारियों को भी भाजपा ने मोर्चे पर खड़ा कर दिया है। दोनों दलों द्वारा उम्मीदवारों के नामों की भी घोषणा कर दी है। नामांकन के बाद आज अभियान तेज हो जाएगा । लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस अपने कमांडर यानी पूर्व सीएम हरीश रावत की कमी जरूर खलेगी । खास सियासी अंदाज और भाषणों के जरिये विरोधियों को घेरने वाले हरदा कोरोना की चपेट में आने की वजह से फिलहाल दिल्ली में उपचार करा रहे हैं। जबकि 17 अप्रैल को सल्ट में मतदान होना है। ऐसे में इस बात की संभावना है कि वह अंतिम दौर में ही सल्ट आ पाएंगे। ऐसे में कांग्रेस के अन्य क्षत्रपों को इस चुनाव में जी-जान से जुटना होगा ।

2017 में, भाजपा ने हरीश रावत की सरकार को बड़े बहुमत के साथ सता से बेदखल कर दिया था । उसके बाद हरीश रावत को राष्ट्रीय महासचिव के साथ ही असम का प्रभार दिया गया। वर्तमान में वह पंजाब के प्रभारी हैं। लगातार जिम्मेदारी मिलने से साफ पता चलता है कि आलाकमान की नजर में हरदा की अलग अहमियत है। दूसरे राज्य की जिम्मेदारी होने के बावजूद, राज्य में रावत की गतिविधि कम नहीं रही । उन्होंने बयानों से लेकर , सड़क पर उतर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी । पिछले कुछ दिनों से उन्होंने कुमाऊं से गढ़वाल तक की यात्रा की और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया। लेकिन वह सल्ट चुनाव से ठीक पहले कोरोना की चपेट में आने के कारण वह प्रचार का हिस्सा नहीं बन पाएंगे । ऐसी स्थिति में, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और विपक्ष के नेता डॉ. इंदिरा हृदयेश के नेतृत्व में, पार्टी को कांग्रेस उम्मीदवार के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी ।

अंजू के लिए कड़ी मेहनत की थी

नवंबर 2019 में हुए उप-चुनावों के दौरान, कांग्रेस के सभी दिग्गज पिथौरागढ़ में कांग्रेस उम्मीदवार अंजु लुंठी के लिए एकजुट हो गए थे। स्टार प्रचारक में सबसे बड़ी भूमिका पूर्व सीएम हरीश रावत ने निभाई थी। अपनी शैली में, उन्होंने अंजू के लिए प्रचार किया । कांग्रेस की एकजुटता का संदेश यह था कि कांग्रेस के नए उम्मीदवार ने भाजपा दिग्गज की सीट पर बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया ।