चकराता , PAHAAD NEWS TEAM

जौनसार-बावर जनजाति क्षेत्र के प्रमुख धाम व सिद्धपीठ कहे जाने वाले श्री महासू देवता मंदिर हनोल में लगातार दूसरे वर्ष भी जागरा मेले का आयोजन अपनी भव्यता के साथ नहीं हो पाया . सीमित संख्या में कारसेवकों और स्थानीय ग्रामीणों ने देवता परंपरा का निर्वहन करने के लिए मंदिर में पूजा-अर्चना की। कम संख्या में आए भक्तों ने महासू मंदिर में पूजा-अर्चना की और मत्था टेका और मनौती मांगी।

परंपरागत रूप से हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष को हरतालिका तीज पर पांडव युग के महत्व के सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल में जागरा मेले का आयोजन किया जाता है। कोरोना महामारी के चलते लगातार दो साल से यह आयोजन नहीं हो पाया है। इसका मंदिर समिति और वासियों को मलाल तो है, लेकिन संतोष इस बात का है कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए यह फैसला बेहतर है। मंदिर समिति द्वारा जागरा मेला स्थगित किए जाने के कारण गुरुवार को हरतालिका तीज पर सीमित संख्या में लोग महासू मंदिर में देवता की परंपरा का निर्वहन करने पहुंचे. कम संख्या में आने वाले स्थानीय भक्त, मंदिर की पूजा प्रणाली से जुड़े कारसेवकों ने महासू मंदिर में पहले दिन पारंपरिक रूप से हरियाली की रस्म अदा की। कारसेवकों ने शुक्रवार को विधि विधान से देवता को शाही स्नान कराया। इसके बाद मंदिर के गर्भगृह में देव चिह्न को स्थापित किया गया । इस दौरान सीमित संख्या में श्रद्धालुओं ने देवता के दरबार में माथा टेका और अपने परिवारों की समृद्धि की कामना की. इस अवसर पर उत्तराखंड आदिवासी आयोग के अध्यक्ष मूरतराम शर्मा, न्यायधीश चंडी प्रसाद बिजल्वाण, सचिव आइएएस हरीशचंद्र सेमवाल, मुख्य अभियंता ऊर्जा निगम जसवंत सिंह चौहान, मंदिर समिति के सचिव मोहनलाल सेमवाल, चकराता ब्लाक प्रधान संगठन के महासचिव हरीश राजगुरु, पूर्व ब्लाक प्रमुख राजपाल सिंह चौहान, नायब तहसीलदार जेएस नेगी, प्रबंधक नरेंद्र नौटियाल, सहायक प्रबंधक विक्रम सिंह राजगुरु, थानाध्यक्ष त्यूणी संदीप पंवार, थानाध्यक्ष कालसी ऋतुराज सिंह, राजस्व उपनिरीक्षक सुरेशचंद जिनाटा, पटवारी संघ के जिलाध्यक्ष तिलकराम जोशी, मंदिर समिति के सदस्य प्रह्लाद जोशी, राजस्व उपनिरीक्षक श्याम सिंह तोमर, उपप्रधान जयकिशन, अनिल चौहान आदि उपस्थित थे।