Chamoli , PAHAAD NEWS TEAM

तपोवन- विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना में कार्यरत अभिषेक, नीती घाटी में जलप्रलय आने के बाद सुरंग के अंदर ही रह गया था । तब से उनकी मां पीताम्बरी देवी बेहोशी की हालत में हैं। त्रासदी को सात दिन बीत चुके हैं, लेकिन वह अभी भी अपने जिगर के टुकड़े के आने की प्रतीक्षा कर रहे है। जबकि, परिवार के अन्य सदस्यों के चेहरे पर समय बीतने के साथ, आशा की रेखाएं गहरी होने लगी हैं। हालांकि, वह अपने बेटे को सुरक्षित वापस लौटने का आश्वासन देकर पीतांबरी देवी को ढाढस बंधा रहे हैं। अभिषेक की बहन पूजा भी दिन भर सुरंग के पास बैठती है और शाम को मायूस होकर लौटती है।

तपोवन निवासी 63 वर्षीय ऋषि प्रसाद के घर रविवार से सन्नाटा पसरा हुआ है। वह पत्नी पीतांबरी देवी, तीन बेटों और एक बेटी के साथ इस घर में सुखपूर्वक रह रहे थे। हालांकि, 7 फरवरी को ऋषिगंगा में जलप्रलय के बाद, घर में मातम पसर गया। ऋषि प्रसाद का 24 वर्षीय बेटा अभिषेक सुरंग के अंदर फंसा हुआ है। जबकि, पत्नी पीताम्बरी उसी दिन से बेहोश है और उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। बहन पूजा भी हर समय चुप रहती है।

शनिवार को भी पूजा सुरंग के पास बैठी थी। जब मैं उनके पास गया, तो उन्होंने कहा, ‘मेरा भाई प्रोजेक्ट में इलेक्ट्रीशियन का काम करता था। रविवार को उसकी छुट्टी थी, लेकिन लगभग साढ़े नौ बजे, उसे सुरंग के एक अधिकारी का फोन आया कि लाइट में कोई खराबी आ गई है। इसके तुरंत बाद, भाई सुरंग के अंदर चला गया। बस! उसके बाद से उसका कुछ पता नहीं चला। कहा जाता है कि सरकार मदद की बात कर रही है, लेकिन सरकार और कंपनी जो मदद देना चाहती है, उस पैसे को बचाव में लगाकर, और जल्द से जल्द सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालें।

अभिषेक के पिता ऋषि प्रसाद भी अंदर से पूरी तरह से टूट चुके हैं। यह कहा जाता है कि आपदा एक दैवीय प्रकोप है, लेकिन इसके बाद, यह बचाव में घोर लापरवाही है। अब तक मुझे उम्मीद थी कि बेटा सुरक्षित रहेगा, लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है, उम्मीद भी टूट रही है।