चम्पावत , PAHAAD NEWS TEAM

प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे व अन्य सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. आईजी जेल की ओर से कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि पहले चरण में देहरादून, हरिद्वार और उप कारागार हल्द्वानी में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया गया है. दूसरे चरण में राज्य की बाकी सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. पिथौरागढ़, चंपावत और ऊधम सिंह नगर में तीन नई जेल बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 5 अक्टूबर की तारीख तय की है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने कारागार महानिरीक्षक से पूछा था कि जेल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कितना पालन किया गया है? प्रदेश की जेलों में कितने सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, कैदियों के लिए रहने की क्या व्यवस्था है. जेल में उन्हें क्या शिक्षा और रोजगार दिया जा रहा है, जेल मैनुअल में संशोधन किया गया है या नहीं और जेलों की क्षमता क्या है।

कोर्ट ने इन बिंदुओं पर हलफनामा पेश करने को कहा था। गुरुवार को आईजी जेल की ओर से बताया गया कि बंदियों के रोजगार के लिए कौशल विकास योजना का सहयोग लिया जा रहा है. कैदियों की जीवन शैली में सुधार के लिए आर्ट ऑफ लिविंग की मदद ली जा रही है। जेलों में बंदियों के रहने के लिए आवास निर्माण के लिए टेंडर निकाला गया है। पिथौरागढ़, चंपावत और ऊधमसिंह नगर में तीन नई जेल बनने के बाद अन्य जेलों के बंदियों को वहां शिफ्ट किया जाएगा. वर्तमान में जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी, दायर की याचिका


संतोष उपाध्याय और अन्य की ओर से अलग से जनहित याचिका दायर की गई है। इनमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों को अपनी सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और वहां मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने को कहा था. राज्य में मानवाधिकार आयोग के रिक्त पदों को भरने के भी आदेश दिए गए. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से इस संबंध में सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है।