देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

उत्तराखंड में जल्द ही मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना शुरू की जाएगी. केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह उत्तराखंड में इस योजना की शुरुआत करेंगे। सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने शनिवार को अधिकारियों के साथ बैठक कर इसकी रूपरेखा पर चर्चा की.

मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह योजना सितंबर माह में शुरू की जाएगी। जिसके लिए केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह उत्तराखंड पहुंचेंगे। इस योजना के संबंध में उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि महत्वाकांक्षी घसियारी कल्याण योजना और 670 बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों का कम्प्यूटरीकरण सितंबर माह में किया जाएगा. इसका उद्घाटन केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे। उद्घाटन पौड़ी गढ़वाल या अल्मोड़ा में किया जाएगा।

अपर रजिस्ट्रार आनंद शुक्ला ने बताया कि घसियारी योजना के शुभारंभ के लिए 20, 20 केजी के 500 बैग बना दिए गए हैं. इन दिनों घसियारी किट बनाने का काम लगातार चल रहा है, इसके लिए पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा, चंपावत के 4 जिलों में 50 केंद्र बनाए गए हैं. यहां महिलाओं को समिति के माध्यम से साइलेज घसियारी किट दी जाएगी।

पहाड़ की महिलाओं के लिए सरकार की यह योजना वरदान साबित होने वाली है। महिलाओं को घास के लिए जंगल नहीं जाना पड़ेगा। बैठक में अपर पंजीयक ईरा उप्रेती ने बताया कि पैक्स समितियों में कम्प्यूटरीकरण के लिए कार्य पूर्ण कर लिया गया है. 390 समितियां पूरी तरह तैयार हैं। शेष समितियों का कम्प्यूटरीकरण 10 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने के लिए दीनदयाल उपाध्याय सहकारी किसान कल्याण योजना 15 सितंबर से 30 अक्टूबर तक प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय में चलाई जाएगी. महिला समूह को ऋण दिया जाएगा। गौरतलब है कि सरकार और सहकारी बैंकों ने 5 लाख किसानों को जीरो प्रतिशत पर कर्ज दिया है.

उन्होंने कहा कि सितंबर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 20 नई शाखाओं का उद्घाटन किया जाएगा. इस महीने की 20 तारीख को नए एटीएम बैंक का उद्घाटन किया जाएगा। गौरतलब है कि सहकारी बैंक की एटीएम वैन कोविड-19 में मददगार साबित हुई थी ।

मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना: यह योजना उत्तराखंड सरकार द्वारा मुख्य रूप से राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों की महिलाओं के लिए शुरू की गई है। महिलाओं को पशुओं के चारे से जुड़ी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। पर्वतीय क्षेत्र की महिलाओं को पशुओं के चारे के लिए जंगल और दुर्गम स्थानों पर जाना पड़ता है।