देहरादून से PAHAAD NEWS TEAM

प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का नेतृत्व, विपक्ष के नेता डॉ. इंदिरा हृदयेश का आशीर्वाद और पूर्व सीएम हरीश रावत की रणनीति। हाईकमान ने उत्तराखंड में पार्टी की त्रिमूर्ति के लिए चुनावी फार्मूला तय कर दिया है। वो किसी एक नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़ेगी, बल्कि सामूहिक नेतृत्व के साथ भाजपा का सामना करेगी। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का रुख स्पष्ट कर दिया। मालूम हो कि पूर्व सीएम हरीश रावत और कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के समर्थकों के बीच काफी समय से हंगामा चल रहा है। PAHAAD NEWS संवाददाता को बताया

रावत खेमा रावत को सीएम के चेहरे के रूप में पेश कर चुनाव में जाना चाहता है। वहीं, प्रीतम कैंप ने प्रीतम को अगला मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है। हालांकि, रावत और प्रीतम दोनों इस मामले पर चुप हैं। शनिवार को, राज्य प्रभारी ने मीडिया को बताया कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। दोनों वरिष्ठ नेता हैं। चुनाव में पार्टी कितनी सीटें जीतने का दावा कर रही है? इस सवाल को प्रदेश प्रभारी ने टाल दिया। लेकिन, यह कहना होगा कि, कांग्रेस के पास हर जगह मजबूत नेतृत्व है।

कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी

कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से बीएसपी या किसी अन्य पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उत्तराखंड प्रभारी चुनावी गठबंधन पर सवालों के कारण असहज हो गए। उन्होंने यह कहकर सवाल को टालने की कोशिश की कि उन्हें समय आने पर ही फैसला लेना चाहिए, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। PAHAAD NEWS संवाददाता को बताया

अच्छी छवि वाले लोगों को कांग्रेस में लाएंगे

2016 में कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की वापसी पर, राज्य प्रभारी ने कहा कि इसका मानक निर्धारित किया जाएगा। जब समय आएगा, केवल अच्छे राजनीतिक ट्रैक रिकॉर्ड वाले लोगों को लिया जाएगा। भले ही वो बागी हो या किसी दूसरे दल का व्यक्ति। देवेंद्र ने यह भी कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग विभिन्न माध्यमों से लगातार कांग्रेस के संपर्क में हैं।

उत्तराखंड के लिए आप के पास कोई सोच नहीं है

प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष ने आम आदमी पार्टी की भी आलोचना की। प्रभारी ने कहा कि उत्तराखंड के लिए AAP का कोई सोच ही नहीं है। इवेंट मैनेजमेंट की कुछ कंपनियों के माध्यम से, यह पार्टी खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन असफल रहती है। दिल्ली से बाहर कई राज्यों में AAP ने कोशिश की लेकिन असफल रही। PAHAAD NEWS संवाददाता को बताया