देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

यदि आप कोरोना महामारी से बचने के लिए सही तरह से मास्क नहीं पहन रहे हैं। तो आप सावधान रहें अगर आप लक्षणों के बावजूद अपना परीक्षण नहीं करवा रहे हैं और आप कोरोना को हंसी मजाक के रूप में ले रहे हैं। ये कोरोना का म्यूटेंट वायरस है, जो पहले की तुलना में कई गुना अधिक खतरनाक है। उत्तराखंड में किए गए सर्वेक्षण में दस प्रतिशत मामलों में म्यूटेंट वायरस पाया गया था । डबल म्यूटेंट वायरस होने के कारण , इसकी स्प्रेडिंग पॉवर पहले से कहीं अधिक है।

देश के कई राज्यों की तरह, उत्तराखंड भी कोरोना की सेकंड वेब से पस्त है। इसका बड़ा कारण कोरोना का नया स्ट्रेन है। जनवरी, फरवरी, मार्च में, उत्तराखंड में किए गए सर्वेक्षण में दस प्रतिशत मामलों में म्यूटेंट वायरस पाया गया था। दून मेडिकल कॉलेज के कोविड के नोडल डॉ. अनुराग अग्रवाल ने PAHAAD NEWS TEAM को बताया कि डबल म्यूटेंट वायरस होने के कारण, इसकी स्प्रेडिंग पॉवर पहले से कहीं अधिक है। मॉस के स्तर पर कोविड पॉजीटिव मामले इसी का परिणाम हैं।

कोरोना की मार सरकारी स्कूलों पर

कोरोना महामारी ने एक बार फिर नए शैक्षणिक सत्र पर आक्रमण किया है। पिछले शैक्षणिक सत्र में भी यही हुआ। कोरोना के साये में सत्र शुरू हुआ और गुजर गया। जानमाल, रोजगार आर आजीविका के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव कोरोना का शिक्षा पर पड़ा है पिछले सत्र में कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चे स्कूल नहीं गए थे। सरकारी स्कूल अजीबोगरीब स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। पिछले सत्र में सैकड़ों बच्चे स्कूलों के दरवाजे तक नहीं पहुंचे। राज्य के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है। प्राथमिक से माध्यमिक तक के सरकारी स्कूलों में राज्य के गठन के बाद से छात्रों की संख्या में हर साल गिरावट आई है। इन्हीं के अगल-बगल निजी स्कूलों में छात्रसंख्या तेजी से बढ़ गई। समस्या से निपटने के लिए सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव कार्यक्रम रखे गए हैं। स्कूल बंद होने के कारण फिलहाल ये मुहिम भी ठप हो गई ।