देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

कोरोना संक्रमण की आशंका से चिंतित अभिभावकों की सरकार ने सुन ली है. राज्य में 2 अगस्त से स्कूल खुलेंगे, लेकिन बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर अभिभावकों की सहमति ली जाएगी. शिक्षा सचिव राधिका झा ने कहा कि स्कूल खोलने के लिए हाइब्रिड मॉडल अपनाया जाएगा। स्कूलों में ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के टीकाकरण के संबंध में विभाग से ब्योरा तलब किया गया है।

राज्य में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की रफ्तार धीमी होने के कारण सरकार ने 2 अगस्त से 6वीं से 12वीं तक के स्कूल खोलने का फैसला किया है. इससे पहले चालू माह के दूसरे हफ्ते से शिक्षकों को भी स्कूलों में मौजूद रहने के आदेश दिए जा चुके हैं । स्कूल खुलने के साथ ही शिक्षा विभाग के सामने कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कराने की चुनौती है. बड़ी संख्या में ऐसे अभिभावक भी हैं जो कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं हैं. अभिभावकों की इस चिंता को सरकार ने संज्ञान में लिया है।

शिक्षा सचिव राधिका झा ने कहा कि स्कूल चलाने के हाइब्रिड मॉडल में अभिभावकों के पास विकल्प होगा कि वे अपने पाल्यों को स्कूल भेजें या नहीं. छात्रों को स्कूलों में बुलाने से पहले माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी। अभिभावकों की सहमति लेने के संबंध में विभाग को निर्देश दिए गए हैं। सहमति नहीं देने वाले अभिभावकों के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प खुला रहेगा। शिक्षकों को व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्रों को जोड़ने का निर्देश दिया गया है। ऑफलाइन पढ़ाई के साथ-साथ ऑनलाइन पढ़ाई भी जारी रहेगी, ताकि जो बच्चे स्कूल न आएं उन्हें पढ़ाई से वंचित न रहना पड़े।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्कूलों में शिक्षकों, कर्मचारियों और भोजनमाताओं के टीकाकरण के बारे में ब्योरा देने को कहा गया है। अभी तक जिन शिक्षकों, कर्मचारियों और भोजनमाताओं को टीका नहीं लगा अथवा दूसरी डोज नहीं लगी, उनका प्राथमिकता के साथ टीकाकरण कराने के निर्देश भी सचिव ने दिए हैं शिक्षा सचिव ने गुरुवार को विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक भी की स्कूलों में मास्क के प्रयोग व सुरक्षित शारीरिक दूरी के मानक का पालन कराने के निर्देश दिए. स्कूल खुलने से पहले सैनिटाइजेशन भी कराया जाएगा ।