देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

उत्तराखंड में इन दिनों सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही हैं, जो एक खास संप्रदाय से जुड़ी हैं. दरअसल, उत्तराखंड में भी 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दल तरह-तरह के चुनावी हथकंडे अपना रहे हैं। इसके तहत राज्य में तुष्टिकरण के प्रयास दिखाई दे रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य में 22 विधानसभा सीटें हैं जिन पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।

उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर तीन जिलों में कई ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका में नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं पौड़ी जिले की कुछ विधानसभाओं में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. इसलिए राजनीतिक दलों ने अब चुनाव को लेकर बेहद कड़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए जीत के लिए नए हथकंडे अपनाना शुरू कर दिया है.

उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में जहां पहले विकास, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और राष्ट्रवाद के नाम पर चुनाव लड़ा जाता था। वहीं इस बार चुनाव का रंग दूसरी तरफ यानी सांप्रदायिक मुद्दों की तरफ जाता दिख रहा है. उत्तराखंड में 82 फीसदी से ज्यादा हिंदू वोट हैं, जबकि साढ़े 13 फीसदी वोट मुस्लिम हैं. अगर दलित और मुस्लिम वोटों की बात करें तो उत्तराखंड की 70 विधानसभाओं में 22 सीटें ऐसी हैं, जहां दलितों और मुसलमानों का दबदबा है. जिससे हार और जीत का फैसला होता है। यही वजह है कि इस बार उत्तराखंड के चुनाव में बदलाव होता दिख रहा है।

मुस्लिम यूनिवर्सिटी आमने सामने पार्टियां

सोशल मीडिया पर एक कांग्रेस नेता का मुस्लिम विश्वविद्यालय स्थापित करने का बयान और बीजेपी के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का मस्जिद से निकलते हुए एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. जिसके बाद इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस सांप्रदायिक रंग देकर आमने-सामने हो गई है.

वहीं बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी व प्रवक्ता सुरेश जोशी का कहना है कि बीजेपी विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ती है, लेकिन उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर जिलों में मुस्लिम बहुल सीटों पर कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति कर वोट बटोरना चाहती हे।

कांग्रेस ने जवाबी कार्रवाई की

वहीं कांग्रेस ने भी बीजेपी पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया है. कांग्रेस प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि बीजेपी ध्रुवीकरण की राजनीति करती रही है. मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए कभी मुख्यमंत्री दरगाह में चादर चढ़ाते नजर आते हैं तो कभी उनके मंत्री टोपी पहने मस्जिदों से बाहर निकलते नजर आते हैं. बीजेपी हमेशा से तुष्टीकरण की राजनीति करती रही है. ऐसे में इस बार वह विधानसभा चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही हैं.

यह है राज्य में वोट प्रतिशत

उत्तराखंड में वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो यहां करीब 83 लाख मतदाताओं में से 60 लाख से ज्यादा मतदाता हिंदू हैं, जबकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 13 फीसदी और सिख मतदाताओं की संख्या 3 फीसदी है. जाहिर सी बात है कि हरिद्वार ऊधमसिंह नगर और देहरादून जिले की कुछ विधानसभाओं को भी जोड़ दिया जाए तो कुल 22 विधानसभाओं में मुकाबला बेहद कड़ा है. जिसमें मुस्लिम मतदाताओं की अहम भूमिका होती है, शायद यही वजह है कि राजनीतिक दल पहली बार चुनाव में हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने से बाज नहीं आ रहे हैं.