कोटद्वार , PAHAAD NEWS TEAM

बरसात के इस मौसम में भी पहाड़ी इलाका सूखा हुआ है. गांव के लिए दशकों पहले बनी पेयजल योजना क्षतिग्रस्त हो गई है। लेकिन, कोई सुनने को तैयार नहीं है। ग्रामीण शिकायत करने विभागीय कार्यालय की रह पकड़ रहे हैं , लेकिन अधिकारी कार्यालय में बैठने की जहमत नहीं उठा रहे हैं. नतीजा यह है कि ग्रामीणों को अपनी शिकायत के लिए करीब 150 किलोमीटर की दूरी तय कर कोटद्वार भागना पड़ रहा है.

यमकेश्वर अंतर्गत गांव बघाला में जहां पिछले एक माह से करीब अस्सी परिवार बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए करीब पांच किलोमीटर दूर डाबर तोक से करीब तीन दशक पूर्व पाइन लाइप बिछाई गई थी . सरकारी देखरेख के अभाव में समय के साथ लाइन खराब होती चली गई और पिछले कई सालों से ग्रामीण पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों के अनुसार पहले वे खुद पेयजल लाइन की मरम्मत करते थे, लेकिन अब इन लाइनों की हालत इतनी खराब हो गई है कि गांव तक पानी नहीं पहुंच रहा है. ग्रामीण घने जंगलों के बीच से करीब एक किमी. उन्हें दूर स्थित प्राकृतिक स्रोत से पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

ग्राम सभा बघाला के उप प्रधान गोपी सिंह ने बताया कि प्राकृतिक स्रोत घने जंगल के बीच में है, जहां हमेशा गुलदार और भालुओं का खतरा बना रहता है. ऐसे में ग्रामीणों को पानी लेने के लिए समूहों में जाना पड़ रहा है। अधिकारियों के रवैये से निराश होकर मंगलवार को गांव से करीब 90 किमी. का सफर कर कोटद्वार पहुंचे गोपी सिंह ने बताया कि वे पेयजल समस्या को लेकर उन्होंने विभागीय अधिकारियों से बात की है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. आरोप है कि पानी की समस्या को लेकर वे लगातार विभागीय अधिकारियों से फोन पर संपर्क कर रहे थे, इसलिए अधिकारियों ने उनका फोन नंबर रिजेक्ट लिस्ट में डाल दिया है. इधर, सहायक अभियंता, जल संस्थान, देवकी नंदन जोशी ने कहा कि उन्हें पेयजल की समस्या की जानकारी थी. उन्होंने कहा कि लाइन की मरम्मत कर जल्द ही पानी की आपूर्ति सुचारू कर दी जाएगी.