देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

कोरोना युग हम सभी के लिए बहुत कठिन समय है, लेकिन इस अवधि ने हमें हजारों वास्तविक जीवन योद्धाओं से भी मिलाया । विशेष रूप से कोरोना से जंग में अग्रिम मोर्चे पर जाबांजी के साथ डटे हुए डॉक्टर्स, जिन्होंने खुद की परवाह किए बिना न जाने कितने संक्रमितों को नया जीवन दिया। इसकी बानगी दून मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. निधि उनियाल भी हैं। उन्होंने अपने और परिवार की चिंता किए बिना दून अस्पताल में आने वाले संक्रमित का इलाज किया।

जैसे ही कोरोना संक्रमण शुरू हुआ, दून मेडिकल कॉलेज कोविड अस्पताल में परिवर्तित हो गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, अस्पताल प्रशासन ने पांच सदस्यीय कोर कमेटी का गठन किया, जिसमें एकमात्र महिला डॉक्टर निधि उनियाल थीं। उन्होंने मरीजों के उपचार के लिए प्रोटोकॉल दिशानिर्देश तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कई महीनों तक अपने परिवार से दूरी बनाकर मरीजों का इलाज किया।

हालांकि, बेहिचक पीपीई किट पहने मरीजों का इलाज करते हुए वह खुद भी एक दफा संक्रमित हो गईं , लेकिन आइसोलेशन में रही, मरीजों के अपडेट लेती रही, डॉक्टरों के साथ उपचार प्रोटोकॉल साझा करती रही, उनकी जिज्ञासाओं को शांत करती रही, उनकी दिनचर्या में शामिल रहा । डॉ. निधि का कहना है कि भले ही कोरोना संक्रमण फैले सालभर से ज्यादा हो गया , लेकिन इससे न तो संक्रमण कम हुआ है और न ही उनका कर्तव्य। वह कहती हैं कि जब तक संक्रमण पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं होता, तब तक वह मरीजों का बिना रुके इलाज करती रहेंगी।