जौनपुर टिहरी गढ़वाल , PAHAAD NEWS TEAM

कांडी पम्पिंग योजना विगत कुछ वर्षो से वित्तीय स्वीकृति हेतु शासन स्तर पर लम्बित पड़ी है लगातार 18 – 20 साल से जनता की मांग को नजर अंदाज किया गया है गर्मियों में माँ और बहिनो को बहुत दूर से सिर पर पानी लाना पड़ता है सरकार भी टैंकर सही समय पर नहीं देती है

मान्यवर आज जबकि केंद्र सरकार घर घर जल व घर घर नल योजना के लिए अरबो रुपये खर्च कर रही है ऐसे समय मे गांव व इस इलाके के लोग बूंद बूंद को तरस रहे है

अभी केवल 50 फीसदी घरों को ही पाइपलाइन से साफ पानी की आपूर्ति होती है. सरकार ने इसका दायरा बढ़ाने का फैसला किया है. उसने 2024 तक हर घर नल, हर घर जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

उत्तराखंड : गर्मियों में पानी की किल्लत के कारण ग्राम कांडी के लोग पलायन को हो जाते हैं मजबूर :

ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पानी की समस्या से चिंतित हैं, आजादी के 8 दशक बाद से, आज तक, ग्रामीण क्षेत्रों की सरकारों से एक ही मांग रही है। कांडी पम्पिंग योजना अठजुला क्षेत्र में जब भी कोई बड़े कार्यक्रम हुए है, उसमें क्षेत्र की हमेसा एक ही मांग रही पानी की 20 वर्ष प्रदेश सरकार को भी हो चुके है लेकिन कांडी पम्पिंग योजना आज भी नहीं बन सकी है। हर सरकार के मंत्रियों ने इस क्षेत्र में मंचों से पम्पिंग योजना की बड़ी बड़ी घोषणाये की हैं,

लेकिन सभी खाली साबित हुई जब कि पर्यावरण की सन्तुलन को बनाये रखने के लिए पानी का होना अवश्य है। भारत सरकार के दोहरे इंजन की घोषणाएँ भी खाली ही साबित हो रही हैं, जिसमे कहा गया घर घर नलका घर घर पानी इसी कारण गाँव के बड़ा हिसा पलायन करने को भी मजबूर हुए गाँव के लोगों का कहना है,

उत्तराखंड : गर्मियों में पानी की किल्लत के कारण ग्राम कांडी के लोग पलायन को हो जाते हैं मजबूर

उत्तराखंड : गर्मियों में पानी की किल्लत के कारण ग्राम कांडी के लोग पलायन को हो जाते हैं मजबूर

पानी की कमी के कारण, हम बकरियां, गाय, भैंस, भेड़ें भी नहीं पाल सकते हैं और बागवानी भी नहीं कर सकते हैं, जो बहुत बड़ा रोजगार प्रदान करती है क्योंकि गर्मी आते ही हमें सब कुछ बेचना पड़ता है, बागवानी लगाते है उसमें पानी नही होता आग लगने से सब कुछ नष्ट हो जाता है।
आज तक यहां जितने भी प्रतिनिधि बने हैं, उन्होंने भी इसके लिए कुछ खास नही किया है, लेकिन यह चुनाव और वोटों तक सीमित रह गया है। चुनाव जीतने के बाद, विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है, यहां के लोगों की एक मुलभुत पानी की मांग है जो आज तक इस तरह से ही लटकी पड़ी है।

यहां के ग्रामीणों ने इस मांग को प्रशासन के सामने रखा, लेकिन यह केवल फाइलों तक ही सीमित रहा। यह मांग उत्तराखंड के गठन से पहले की है। आज उत्तराखंड बने 20 साल हो चुके हैं, लेकिन यह अभी भी वही पर है।

उत्तराखंड का शायद ही कोई ऐसा मुख्यमंत्री होगा जिससे की यहाँ के लोगो न कांडी पानी योजना के बारे में ना लिखा हो, और क्या वर्तमान और पूर्व विधायक यहां हैं, सभी की जानकारी में यह योजना है, लेकिन यह लोग खाली वोट से आगे तक ने बढ़ी । यह इस क्षेत्र का दुर्भागय है की इस क्षेत्र की जनता की साथ छल किया है ।

गाँव के बुजुर्ग श्री जोत रावत बताते हैं कि मैं 80 साल का हो गया हूँ और पानी की हमारी माँग कई सालों से चली आ रही है, अब उन्होंने उम्मीद छोड़ दी है कि यहाँ पानी की समस्या दूर हो जाएगी।

और अगर गाँव में कुछ भी होता है, तो गर्मियों में आग लगने के कारण नष्ट हो जाता है,