विकासनगर , PAHAAD NEWS TEAM
प्रदेश के काश्तकारों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए अमरूद के उत्पादन में सुधार होगा, जिससे काश्तकारों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. अमरूद की ऐसी किस्में विकासनगर में तैयार की जा रही हैं, ताकि किसानों को अच्छा मुनाफा हो सके। साथ ही पारंपरिक खेती के साथ-साथ किसान अमरूद की 20 किस्में लगा सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि केंद्र ने देशी-विदेशी अमरूद की 20 प्रजातियों का बगीचा तैयार किया है. भारत के विभिन्न संस्थानों व विदेशों से पौध मंगाकर केवीके परिसर में इसका बगीचा तैयार किया जा रहा है।
पलायन रोकने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इसी कड़ी में सरकार किसानों को बागवानी की ओर आकर्षित कर रही है. कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अमरूद की नई किस्में विकसित करना शुरू कर दिया है। वहीं, बागवानों को अब तक अच्छी गुणवत्ता वाले फलों की पौध नहीं मिल पाई है। अब पछवादून जौनसार के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश से सटे काश्तकारों को अच्छे किस्म के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी ने अच्छी गुणवत्ता वाले अमरूद की देशी-विदेशी किस्में बगीचे में तैयार की हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि केंद्र ने देशी-विदेशी अमरूद की 20 प्रजातियों का बगीचा तैयार किया है. भारत के विभिन्न संस्थानों व विदेशों से पौध मंगाकर केवीके परिसर में इसका बगीचा तैयार किया जा रहा है। किसानों की मांग पर विपणन उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए, केवीके ने अगले 20 वर्षों में बाजार में होने वाले बदलाव को ध्यान में रखते हुए अमरूद के पौधे तैयार किए हैं।
जिसके पौधे जरूरतमंद काश्तकारों को उपलब्ध कराए जाएंगे। ताकि अमरूद के लाल और सफेद गूदे वाले बड़े आकार के फल और बिना बीज के मीठे फल किसानों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करें।
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