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उत्तराखंड में दो और निजी विश्वविद्यालय अस्तित्व में आने वाले हैं। मंत्रिमंडल ने देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय विधेयक और सूरजमल विश्वविद्यालय विधेयकों को मंजूरी दे दी। इन दोनों निजी विश्वविद्यालयों की निगरानी सरकार द्वारा की जाएगी। निजी विश्वविद्यालय मनमानी नहीं कर पाएंगे। राज्यपाल उनके कुलपति होंगे। निजी विश्वविद्यालयों के व्यवस्थापक मंडल में उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव या सचिव बतौर सदस्य शामिल रहेंगे। व्यवस्थापक मंडल विश्वविद्यालय की मुख्य नियंत्रक संस्था होगी।
मंत्रिमंडल ने देहरादून में देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय की स्थापना को मंजूरी दी। विश्वविद्यालय आयुष, तकनीकी शिक्षा, प्रबंधकीय, कंप्यूटर, कृषि विज्ञान, आर्किटेक्चर, एप्लायड साइंसेज, नर्सिंग, फार्मेंसी, पत्रकारिता, जनसंचार, खाद्य प्रौद्योगिकी, वाणिज्य, होटल प्रबंधन, इंजीनियङ्क्षरग व टेक्नोलाजी में काम करेगा। इसके साथ, आतिथ्य प्रबंधन शिक्षा और सामान्य विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए सुविधाएं प्रदान करेगा। इसका संचालन उत्तराखंड उत्थान समिति करेगी। किच्छा में विश्वविद्यालय की स्थापनामंत्रिमंडल ने एक अन्य फैसले में ऊधमसिंहनगर जिले के किच्छा में सूरजमल विश्वविद्यालय को मंजूरी दी।

यह विश्वविद्यालय तकनीकी, उच्च, शिक्षक शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामान्य विज्ञान, शिक्षण, प्रशिक्षण, शोध कार्य और प्रबंधकीय क्षेत्र में प्रसार से संबंधित शिक्षा प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय का संचालन सूरजमल लक्ष्मीदेवी सावरथिया एजुकेशनल ट्रस्ट किच्छा द्वारा किया जाएगा। राज्यपाल उक्त निजी विश्वविद्यालयों के प्रशासक मंडल में कुलपति के रूप में छह सदस्यों को मनोनीत कर सकेंगे। महाविद्यालय की जगह इस्तेमाल होगा स्कूल स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन को हरी झंडी दिखाई गई है।

विश्वविद्यालय में स्थापित संघटक कॉलेजों में हिमालयन स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के नाम से स्कूल शब्द का उपयोग करने और भविष्य में स्थापित किए जाने वाले नए संघटक कॉलेजों में भी संशोधन किया गया है।