देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के बीच जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. अब अनिल बलूनी ने हरीश रावत को हरिद्वारी लाल और हरीश रावत ने अनिल बलूनी को इतवारी लाल भी कहा है। दोनों एक दूसरे को ताना मार रहे हैं। इन कथनों का अर्थ भी समझिए।
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उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी द्वारा पूर्व सीएम हरीश रावत को हरिद्वारी लाल कहने के बाद अब इस मामले पर सियासत तेज हो गई है. दरअसल, यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत का ज्यादातर फोकस हरिद्वार पर रहा है, इतना ही नहीं अपनी पत्नी को हरिद्वार से लोकसभा चुनाव लड़वाना हो या खुद हरिद्वार ग्रामीण से विधानसभा चुनाव लड़ना है, उन्होंने हमेशा सक्रिय रहे है।

जबकि हरीश रावत पहले भी हरिद्वार से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में अनिल बलूनी के हरीश रावत को हरिद्वारी लाल कहने का मतलब साफ है कि वह कुमाऊं में उनकी पकड़ कमजोर करना चाहते हैं. जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि हरीश रावत अल्मोड़ा या कुमाऊं से ज्यादा हरिद्वार से प्यार करते हैं। अब वह हरिद्वार के ही हैं। लेकिन अनिल बलूनी के इस बयान से हरिद्वार के लोग खासे नाराज हो गए हैं, लोगों ने सोशल मीडिया पर कैंपेन शुरू कर दिया है कि क्या हरिद्वार का होना गलत बात है.

वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी सांसद अनिल बलूनी का पक्ष लेते हुए उनकी सफाई पेश की है. वहीं हरीश रावत ने एक बार फिर अनिल बलूनी पर अपने चिर-परिचित अंदाज में पलटवार किया है, जहां वह खुद को बहुत खुशकिस्मत मानते हैं कि उन्हें हरिद्वारी लाल कहा गया है और उन्होंने स्वीकार किया है कि वह मां गंगा के पुत्र हैं ।

साथ ही उन्होंने अनिल बलूनी पर तंज कसते हुए कहा कि वह कम से कम इतवारी लाल नहीं हैं. हरीश रावत का यह ताना अनिल बलूनी के राजनीति करने के तरीके पर था। हरीश रावत का कहना है कि वह जमीन पर उतरकर लोगों के बीच जाते हैं और ना कि अनिल बलूनी की तरह साप्ताहिक रूप से राजनीति दिल्ली में बैठकर करते हैं. हरीश रावत ने कहा कि वह इतवार को अनिल बलूनी की तरह राजनीति नहीं करते हैं और अनिल बलूनी इतवारी लाल हैं।