देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है। जहां अनुशासन के दायरे में बंधे पुलिसकर्मियों ने ‘ग्रेड पे’ की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पुलिसकर्मियों के परिजन भी ग्रेड पे की मांग को लेकर सड़क पर उतर आए हैं। वहीं इस मामले में आज शासन स्तर पर गठित उप समिति की बैठक होनी है. उसके बाद ही आंदोलन की आगे की रणनीति तय होगी। ऐसे में सभी को इस बैठक में लिए गए फैसले का इंतजार है.

बताया जा रहा है कि उपसमिति की बैठक में यदि कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है तो 15 अगस्त को आंदोलनकारी सरकार की ओर अपना ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ कर सकते हैं. आज यानी 27 जुलाई की शासन मीटिंग के बाद आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ हो सकती है .

उधर, बीते रविवार ग्रेड पे मामले में देहरादून के गांधी पार्क में डेढ़ सौ से 200 पुलिसकर्मियों के परिजनों द्वारा विरोध प्रदर्शन नारेबाजी को लेकर भी पुलिस विभाग सख्ती बढ़ा सकता है . क्योंकि अपील और चेतावनियों के बावजूद यह प्रदर्शन सेवारत पुलिसकर्मियों के संरक्षण में हुआ, जिसमें पुलिसकर्मियों की अनुशासनहीनता भी सामने आई है. ऐसे में प्रदर्शन के दौरान आए पुलिस रिश्तेदारों के 15 से 20 परिवारों की इंटेलिजेंस ने पहचान कर ली है.

वहीं, जानकारी के अनुसार इस विरोध प्रदर्शन में देहरादून, टिहरी और हरिद्वार जिले के पुलिसकर्मियों के परिजन सबसे आगे रहे. इसे देखते हुए राज्य सरकार के आदेश पर 27 जुलाई को हुई बैठक के बाद पुलिस विभाग आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई भी कर सकता है.

जानकारों के मुताबिक देश में यह मामला नया नहीं है, जिसमें देश के पुलिस कर्मचारी सरकार के खिलाफ मुखर होकर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर आए हैं. इससे पहले भी बिहार समेत कई राज्यों की पुलिस यूनियन के दांव पर अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर चुकी है.

वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा बताते हैं कि राज्य सरकार के अन्य विभागों की तुलना में पुलिस विभाग के नियमों में धरना प्रदर्शन जैसे मामलों से दूर रहने का नियम है. लेकिन इसके बावजूद संबंधित पुलिसकर्मियों के परिजन जिस तरह से अपने ‘ग्रेड पे’ की मांग को लेकर आगे आए हैं, उससे भविष्य की चिंता बढ़ सकती है.

शर्मा के मुताबिक, अगर पुलिस कर्मियों का ग्रेड पे दिया जाता है तो राज्य के अन्य उच्च पदस्थ विभाग के कर्मचारी भी सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के लिए सड़क पर आ सकते हैं. यही कारण है कि राज्य सरकार पुलिस कर्मचारियों के ग्रेड पे को लेकर कोई फैसला नहीं ले पा रही है.