देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

राज्य के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे पुष्कर सिंह धामी के सामने अफसरशाही को साधने की चुनौती होगी. एक विधायक के तौर पर उन्होंने खुद अफसरशाही की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. अब जबकि वह स्वयं राज्य का मुखिया होंगे , तो अफसरशाही पर नियंत्रण रखने के साथ ही कुशलता से काम कैसे लेना है। यह उन्हें ही तय करना है। माना जा रहा है कि मुखिया का पद संभालने के बाद वह जल्द ही अफसरशाही में कुछ बदलाव कर सकते हैं. बदले हुए हालात में शनिवार को पूरे घटनाक्रम पर अफसरशाही की नजर बनी रही.

राज्य में अफसरशाही की कार्यशैली को लेकर समय-समय पर जनप्रतिनिधियों द्वारा सवाल उठाए जाते रहे हैं। प्रदेश में अब तक ऐसी कोई सरकार नहीं बनी, जिसमें मंत्रियों और विधायकों ने अफसरशाही पर आपत्ति न की हो। इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायक शामिल रहे हैं।

अफसरशाही पर आरोप लगते रहे हैं कि वह बेवजह किसी मुद्दे को उलझाती है। जनप्रतिनिधियों के फोन नहीं उठाए जाते और कई बार लोगों की भावनाओं के खिलाफ फैसले लिए जाते हैं। एक आरोप यह भी है कि सरकार चाहे कोई भी हो, अफसरशाही अपने तरीके से फैसले लेती है। इससे कई बार जनहित प्रभावित होता है । कई बार कुछ अधिकारी अपने राजनीतिक आकाओं के कहने पर नियम-कायदों से बाहर जाकर भी निर्णय लेने से नहीं हिचकिचाते। मौजूदा बीजेपी सरकार में भी दो-तीन मौकों पर अफसरशाही को लेकर नाराजगी जाहिर की जा चुकी है.

यही कारण था कि सरकार के निर्देश पर पिछले साल मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बीते वर्ष अपर मुख्य सचिव से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों को सभी विधायकों का फोन उठाने, उनकी समस्याओं का निस्तारण करने और उन्हें उचित मान सम्मान देने के आदेश जारी किए थे।

अब एक बार फिर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है. ऐसे में सभी की निगाहें नई सरकार की अफसरशाही को लेकर उठाए जाने वाले कदमों पर टिकी हैं. इस संबंध में मुख्यमंत्री बनने जा रहे पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकारी स्तर का काम अफसरशाही देखेगी . सरकार देखेगी कि श्रमिकों की अपेक्षाओं को कैसे पूरा किया जाए।