विकासनगर , PAHAAD NEWS TEAM

जौनसार-बावर के चकराता व कालसी क्षेत्र में टमाटर की फसल में अंगमारी रोग का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिससे सब्जी उगाने वाले किसान परेशान हैं. कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिकों ने इस कवक रोग से बचाव के उपाय इसलिए बताया है क्योंकि सब्जियों की फसलें मौसम के प्रति काफी संवेदनशील होती हैं।

वैज्ञानिक डॉ. संजय सिंह ने कहा कि सामान्य तौर पर कृषि के लिए वर्षा का बहुत महत्व है। खरीफ मौसम की फसल का उत्पादन मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर करता है। जौनसार-बावर के पहाड़ी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती की जा रही है. सब्जियों की फसलें मौसम के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं। कम या ज्यादा बारिश का असर उत्पादन पर पड़ना तय है। यदि वर्षा कम होती है तो तापमान में वृद्धि और नमी की अधिकता के कारण कई प्रकार के कवक और जीवाणु रोग पनपने लगते हैं, इसके विपरीत अधिक वर्षा होने के कारण भी कई प्रकार की गलन अथवा जड़ सड़न की बीमारी पौधों की वृद्धि, उत्पादकता को प्रभावित करती है। सामान्यत: यदि वर्षा एक निश्चित अंतराल पर जारी रहती है, तो इसके कारण तापमान कम रहता है। कम तापमान और उचित आद्रता के स्तर पर लगभग सभी प्रकार के जीवाणु और फफूंद रोगजनक की वृद्धि सामान्य रहती है , लेकिन खरीफ मौसम में कुछ समय के लिए कम वर्षा के कारण नमी बनी रहती है, लेकिन तेज धूप के कारण सब्जियों में फफूंद जनित और जीवाणु जनित बीमारियां बढ़ रही हैं । चकराता और कालसी के पहाड़ी क्षेत्र में जहां किसान मुख्य रूप से इस मौसम में टमाटर की खेती करते हैं। टमाटर में कवक जनित रोग की समस्या बढ़ती जा रही है। यह कहा जा सकता है कि रोग के कम अथवा अधिक लगने का मौसम से सीधा संबंध है, जो वर्षा, धूप, हवा इत्यादि से बनता है। टमाटर की अंगमारी रोग पर उपयुक्त जीवाणुनाशक और फफूंद नाशक का छिड़काव करना चाहिए। वैज्ञानिक ने सलाह दी कि मौसम के प्रति सहनशील प्रजातियों का ही चुनाव किसानों को करना चाहिए । उचित पोषण प्रबंधन के माध्यम से फसलों से वांछित उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।