देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM
उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने कहा कि हिमालय, ग्लेशियरों और नदियों के बदलते स्वरूप के कारण आने वाली आपदाओं के मद्देनजर एक आपदा प्रबंधन प्रणाली को विकसित करने के लिए एक दीर्घकालिक अध्ययन किया जाना चाहिए। बलूनी ने बुधवार को शून्यकाल के दौरान राज्यसभा में चमोली आपदा के मुद्दे को उठाते हुए यह बात कही।
राज्यसभा सदस्य बलूनी ने कहा कि हाल के वर्षों में उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने, बादल फटने, भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं। केदारनाथ त्रासदी जैसी भीषण आपदा ने 7 फरवरी को चमोली जिले को दहला दिया था। कई लोग लापता हैं और कई लोग हताहत हुए हैं। स्थानीय बिजली परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा है। ग्रामीणों के खेतों, संपर्क मार्गों, पुलों सहित कई परिसंपत्तियां मिट गईं। आपदा के बाद बचाव और राहत कार्य चल रहा है।
उन्होंने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से आग्रह किया कि आपदा की इन परिस्थितियों पर एक विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है। हिमालय, ग्लेशियरों और नदियों की प्रकृति पर एक विस्तृत अध्ययन होना आवश्यक है और फिर राज्य की आपदा प्रबंधन प्रणाली को तदनुसार विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अध्ययन न केवल उत्तराखंड के लिए बल्कि देश और दुनिया के लिए भी फायदेमंद होगा।
भाजपा नेता बलूनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चमोली की घटना पर तुरंत ध्यान दिया और आपदा प्रबंधन में पूरी मशीनरी सक्रिय हो गई। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने गृह मंत्री को भी धन्यवाद दिया कि उनके निर्देशन में, आपदा प्रबंधन दल युद्ध स्तर पर बचाव और राहत कार्यों में लगे हुए हैं।
तीरथ ने लोकसभा में उठाया मुद्दा
बुधवार को लोकसभा में चमोली की आपदा के मुद्दे को उठाते हुए, गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत ने कहा कि रैणी गाँव में चिपको आंदोलन की भूमि और उससे कुछ दूरी पर स्थित तपोवन में आपदा ने भारी नुकसान पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि लापता व्यक्तियों की तलाश युद्धस्तर पर चल रही है। उन्होंने इस घटना पर तत्काल संज्ञान लेने और प्रभावी कदम उठाने के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को धन्यवाद दिया।
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