देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

दिल्ली में कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन से एक मरीज के संक्रमित होने की पुष्टि के बाद दून में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. दिल्ली, यूपी समेत पड़ोसी राज्यों से आने वाले लोगों की रैंडम कोरोना जांच की जा रही है. साथ ही आम जनता से भी विशेष रूप से सतर्क रहने की अपील की गई है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। जिला निगरानी अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया कि सरकारी और निजी अस्पतालों को अलर्ट पर रहने और बेड की संख्या बढ़ाने को कहा गया है.

ऑक्सीजन प्लांट की रिचेकिंग की जा रही है। दवाओं का स्टॉक रखने के साथ ही डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी भी तय की गई है. निगरानी समितियों को सतर्क रहने को कहा गया है। एयरपोर्ट और बॉर्डर पर बाहर से आने वालों की रैंडम सैंपलिंग की जा रही है। वहीं डीएम डॉ. आर राजेश कुमार ने एसडीएम, स्वास्थ्य विभाग व पुलिस को बाजार व भीड़-भाड़ वाली जगहों पर बिना मास्क वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और जांच व टीकाकरण में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं.

देशभर में ओमीक्रोन के बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने राज्य में पॉजिटिव पाए गए कोरोना मरीजों के सैंपल की अनिवार्य जीनोम सीक्वेंसिंग कराने का फैसला किया है. कई राज्यों में ओमीक्रोन के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से निर्देश दिए गए हैं. दरअसल, विदेशों के बाद अब देश के कई राज्यों में ओमीक्रोन के मरीज तेजी से सामने आ रहे हैं. इससे राज्य के स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ गई है।

अभी तक विदेश से आने वाले पॉजिटिव मरीजों के सैंपल की ही अनिवार्य जीनोम सीक्वेंसिंग की जा रही थी। लेकिन कई राज्यों में मामले सामने आने के बाद अब राज्य में मिले सभी पॉजिटिव मरीजों को शक की नजर से देखा जा रहा है. हालांकि अभी तक राज्य में ओमीक्रोन से किसी मरीज की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन एहतियात के तौर पर जांच की व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है। सचिव स्वास्थ्य डॉ पंकज पांडेय ने बताया कि वायरस के नए रूप की पहचान के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं.

300 सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग


उत्तराखंड में पिछले दो महीनों के दौरान करीब 300 सैंपलों की जीनोम सीक्वेसिंग की गई है। लेकिन इनमें से कोई भी मरीज ओमीक्रोन से पीड़ित नहीं पाया गया है। हालांकि, राज्य में सैंपल की टेस्टिंग बहुत कम हो रही है. पिछले कुछ दिनों को छोड़ दें तो प्रदेश में हर दिन सिर्फ सात से आठ हजार सैंपलों की ही जांच हो पा रही थी। अब जांच बढ़ गई है लेकिन लक्ष्य से अभी भी काफी कम है।