विकासनगर , PAHAAD NEWS TEAM

छत्रधारी चालदा महाराज 67 साल बाद मंगलवार की देर रात समाल्टा मंदिर में विराजमान हुए। भगवान के मंदिर परिसर में पहुंचते ही चालदा महाराज के जयकारों से पूरा आसपास का क्षेत्र गूंज उठा। लोगों में देवताओं के दर्शन के लिए होड़ मची हुई थी। इससे पहले दोपहर 1.30 बजे देवता ने ठाणा से समाल्टा के लिए निकले। इस दौरान ग्रामीणों ने जगह-जगह देव डोली पर पुष्पवर्षा कर समृद्धि की कामना की।

समाल्टा मंदिर में दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। समाल्टा खत के साथ ही उत्तरकाशी, हिमाचल प्रदेश के उपलगांव खत सहित पूरे जौनसार बावर से भी लोग देव दर्शन के लिए पहुंचे. ठाणा से प्रस्थान के समय हजारों की संख्या में श्रद्धालु देव डोली के साथ चल रहे थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवता पुराने पारंपरिक मार्ग से यात्रा करते हैं। यात्रा मार्ग के बीच में पड़ने वाले गांवों में हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए खड़े रहे . रामताल उद्यान में खत शैली के ग्रामीणों द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें देव डोली के साथ चलने वालों को भोजन कराया गया. इसके बाद देवता समाल्टा के लिए रवाना हो गए। समाल्टा मंदिर में प्रवेश से पहले विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। जिसके बाद लोगों ने देवी से सुख का आशीर्वाद मांगा। लोगों ने रात्रि जागरण कर जागड़ा मनाया। इस दौरान चालदा महाराज के वजीर दीवान सिंह, अर्जुन सिंह तोमर, कलम सिंह चौहान, रणवीर सिंह चौहान, सूरत सिंह, गोपाल तोमर, सरदार सिंह, भगत सिंह, शूरवीर तोमर, माया सिंह आदि मौजूद थे.

रामताल गार्डन में सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान के इंतजार में पहुंच गए थे। खत शैली के ग्रामीणों ने वहां भक्तों के लिए भोजन और प्रसाद तैयार किया। देवता के आगमन तक भक्तों ने देव जागर गायन के साथ लोक गीतों और लोक नृत्यों की छटा बिखेर दी।

छत्रधारी चालदा महाराज की पुरोड़ी से गुजरते समय यहां सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। भगवान के साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने के कारण वाहनों को सड़क से गुजरने के लिए जगह नहीं मिल पाई। हालांकि जाम से परेशान होने के बजाय यात्री वाहनों से उतरकर देवताओं के दर्शन करने के लिए उतावले नजर आए। सभी लोगों ने देवी से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा।