हल्द्वानी , PAHAAD NEWS TEAM

घर-घर पानी पहुंचाना जल संस्थान की जिम्मेदारी है. फिल्टर प्लांट से लेकर नलकूपों तक लोगों तक पानी पहुंचाया जाता है। जिसके एवज में बिल वसूल किया जाता है। लेकिन हल्द्वानी शहर में कई इलाके ऐसे भी हैं जहां साल भर टैंकर चलते रहते हैं. जल संस्थान का अपना टैंकर भी है लेकिन जब पानी का संकट बढ़ता है तो निजी टैंकरों का सहारा लेना पड़ता है। अगर निजी टैंकरों के खर्च की बात करें तो एक साल के भीतर एक करोड़ दस लाख रुपये का भुगतान करना पड़ा. इस हिसाब से प्रति माह औसतन नौ लाख से अधिक किराया देना पड़ता है।

शीशमहल स्थित वाटर फिल्टर प्लांट में रोजाना 32 एमएलडी पानी फिल्टर किया जाता है। बैराज से आने वाले पानी को लाइनों के जरिए घरों तक पहुंचाया जाता है। इसके अलावा अलग-अलग जगहों पर बने नलकूप भी प्यास बुझाने के काम आते हैं। कठघरिया, तल्ली हल्द्वानी, दमुवाढूंगा के अलावा और भी कई इलाके हैं जहां साल भर टैंकर चलते हैं। अंतिम छोर पर होने के कारण यहां पाइप लाइन के जरिए पानी नहीं पहुंच पा रहा है। क्योंकि दाब की गति बहुत धीमी हो जाती है। वहीं फरवरी के बाद से गर्मी का मौसम शुरू होते ही नलकूपों के उड़ने का सिलसिला शुरू हो जाता है.

फिर लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी टैंकर चलाने पड़ते हैं। गर्मी के मौसम में निजी टैंकरों से रोजाना 100 फेरे लगते हैं। जल संस्थान के अनुसार जिला प्रशासन के आदेश पर प्रति चक्कर किराया निर्धारित है। वार्षिक रिपोर्ट जुलाई से जून तक तैयार की जाती है। इस बार इन 12 महीनों में निजी टैंकरों का एक करोड़ दस लाख रुपये का बिल आया।