देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

धामी सरकार 2.0 की पहली बैठक सचिवालय में हुई. कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसी क्रम में हमारी सरकार एक कमेटी का गठन करेगी, जो राज्य में समान नागरिक संहिता लेकर एक मसौदा तैयार करेगी। 24 मार्च को हुई कैबिनेट की बैठक में तय हुआ कि राज्य सरकार इस कानून को लागू करने के लिए एक कमेटी बनाएगी.

समान नागरिक संहिता एक ऐसा मुद्दा है, जो हमेशा से भाजपा के एजेंडे में रहा है। 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे को अपने घोषणापत्र में शामिल किया। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता को शामिल किया था। भाजपा का मानना ​​है कि जब तक समान नागरिक संहिता नहीं अपनाई जाती, तब तक लैंगिक समानता नहीं आ सकती।

समान नागरिक संहिता क्या है: समान नागरिक संहिता (समान नागरिक संहिता) का अर्थ है भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो। समान नागरिक संहिता में विवाह, तलाक और संपत्ति के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक कानून लागू होगा।

इस कानून पर चल रही बहस: अभी देश मुस्लिम, ईसाई और पारसी का पर्सनल लॉ लागू है। हिंदू, सिख और जैन हिंदू नागरिक कानून के तहत आते हैं, जबकि संविधान समान नागरिक संहिता के अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताता है। इसे आज तक देश में लागू नहीं किया गया है। इस कानून पर लगातार बहस चल रही है।