देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 ने उत्तराखंड के लिए कड़ी परीक्षा ली. एक तरफ बीजेपी प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने जा रही है, वहीं उसके सीएम उम्मीदवार पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए. भाजपा विधायक दल ने भी धामी को अपना नेता चुना। बात यहीं खत्म नहीं होती। पुष्कर सिंह धामी को भाजपा विधायक दल ने भले ही इसके नेता के रूप में चुना हो और वह मुख्यमंत्री बनने जा रहे हों, लेकिन उन्हें अगले 6 महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना होगा। अब पार्टी को मंथन करना होगा कि धामी को किस सीट से और कैसे चुनाव लड़ाया जाए.

पुष्कर सिंह धामी दूसरी बार उत्तराखंड के सीएम बन रहे हैं। सोमवार को भारतीय जनता पार्टी की विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगी। पिछली सरकार में आखिरी वक्त में बीजेपी ने पुष्कर धामी को उत्तराखंड का सीएम बनाया था. हालांकि, 6 महीने के कार्यकाल में उन्होंने अपनी दक्षता, विनम्र व्यवहार और सर्वसुलभता से भाजपा में अपनी अलग पहचान बनाई। अब 23 मार्च को धामी दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेंगे.

6 महीने के अंदर जीतना होगा चुनाव: पुष्कर सिंह धामी को बीजेपी विधायक दल ने भले ही अपना नेता चुना हो और वह मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, लेकिन उन्हें अगले 6 महीने के अंदर उन्हें विधानसभा सदस्य बनना ही होगा । संविधान के अनुच्छेद 164(4) में प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तो वह छह महीने से अधिक समय तक मंत्री पद पर नहीं रह सकता है। ऐसे में उन्हें 6 महीने के अंदर सदन की सदस्यता लेनी होगी. अगर ऐसा नहीं हो पाया तो उन्हें सीएम की कुर्सी छोडऩी पड़ सकती है।

चुनाव कहां से लड़ सकते हैं? : दरअसल चुनाव परिणाम आते ही बीजेपी के कई विधायकों ने धामी से सीट खाली करने की पेशकश की थी. इनमें चंपावत से चुनाव जीतने वाले कैलाश गहतोड़ी पहले विधायक थे जिन्होंने कहा था कि अगर धामी को सीएम बनाया जाता है तो वह अपनी सीट खाली करने को तैयार हैं. गहतोड़ी ने कहा था कि आज राज्य में जितनी भी सीटें बीजेपी के पक्ष में आई हैं, वह धामी की वजह से हैं.

बंशीधर भगत भी थे तैयार: पिछली धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बंशीधर भगत ने भी धामी के लिए अपनी सीट खाली करने के संकेत दिए थे. भगत नैनीताल जिले की कालाढूंगी सीट से विधायक हैं. जागेश्वर से विधायक मोहन सिंह ने भी कहा था कि अगर पुष्कर सिंह धामी यहां से चुनाव लड़ते हैं तो वह सीट खाली कर देंगे।

निर्दलीय भी है एक तरीका: अगर बीजेपी अपनी एक सीट खाली नहीं करना चाहती है तो वह एक निर्दलीय विधायक से इस्तीफा दिलाकर पुष्कर सिंह धामी को उस सीट से चुनाव लड़वा सकती है. निर्दलीय विधायक को राज्य मंत्री के पद से नवाजा जा सकता है.

डीडीहाट से भी लड़ सकते हैं धामी : इस साल 4 जुलाई को उत्तराखंड से राज्यसभा की एक सीट खाली हो रही है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी राज्यसभा जाएंगे। बीजेपी अपने वरिष्ठ नेता बिशन सिंह चुफाल को राज्यसभा भेज सकती है. अगर पार्टी यह फैसला लेती है तो पुष्कर सिंह धामी के लिए बिशन सिंह चुफाल अपनी सीट खाली कर सकते हैं। ऐसे में धामी डीडीहाट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. यह सीट उनके लिए सबसे सुरक्षित भी मानी जाती है। यहां से वह आसानी से चुनाव जीत सकते हैं।

उत्तराखंड में हैं दो निर्दलीय विधायक: इस बार उत्तराखंड में दो निर्दलीय विधायकों ने चुनाव जीता है. उमेश कुमार ने हरिद्वार जिले की खानपुर सीट से चुनाव जीता है। इनमें से असंजय डोभाल कांग्रेस से बगावत करके चुनाव जीते हैं तो इन्हें बीजेपी इस्तीफा दिलाकर धामी को चुनाव लड़ा सकती है. वहीं उमेश कुमार ने सीट छोड़ने को लेकर कई शर्तें रखी हैं. ऐसे में लगता नहीं है कि बीजेपी उमेश कुमार की शर्तों को मानेगी.

उत्तराखंड में विधान परिषद नहीं: दरअसल उत्तराखंड में विधान परिषद की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में धामी के पास विधानसभा चुनाव जीतने के अलावा कोई और चारा नहीं है. गौरतलब है कि हाल के चुनावों में खटीमा विधानसभा सीट से पुष्कर सिंह धामी मैदान में थे, लेकिन वे अपनी सीट नहीं बचा सके. उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार भुवन चंद्र कापड़ी ने 6579 मतों से हराया था।