देहरादून , पहाड़ न्यूज टीम

आज एनडीए से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू देहरादून पहुंच गई हैं. इस दौरान उन्होंने सभी विधायकों और सांसदों से मुलाकात की. सभी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मुर्मू से बातचीत की। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद थे. वहीं द्रौपदी मुर्मू को निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिलता दिख रहा है.

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ पार्टी के अन्य नेताओं से मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात की और अपने पक्ष में मतदान करने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद थे.

बता दें कि इस रिसेप्शन में जहां एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू पार्टी के सभी पदाधिकारियों से अपने पक्ष में वोट करने का अनुरोध कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर द्रौपदी मुर्मू भी देश के प्रति अपना नजरिया और विचार साझा कर रही हैं. सामने रखते हैं। बड़ी बात यह है कि इस कार्यक्रम में सिर्फ बीजेपी विधायक और सांसद ही नहीं निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और संजय डोभाल भी शामिल हुए हैं. वहीं द्रौपदी मुर्मू को निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला है.

बता दें कि एनडीए यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आज उत्तराखंड के दौरे पर हैं. द्रौपदी मुर्मू आज सुबह 10 बजे स्पेशल प्लेन से जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पहुंचीं। यहां से वह सड़क मार्ग से देहरादून कोर्ट परिसर स्थित शहीद स्थल पहुंचीं। शहीद स्थल पर उन्होंने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों और शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की।

18 जुलाई को है राष्ट्रपति चुनाव: राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होगी. वहीं, मतगणना की तारीख 21 जुलाई तय की गई है। 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल पद की शपथ लेने से पहले द्रौपदी मुर्मू दो बार विधायक और एक बार ओडिशा में राज्य मंत्री रह चुकी हैं। राज्यपाल के रूप में उनका पांच साल का कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा हो गया था, लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति द्वारा नई नियुक्तियों की नियुक्ति न होने के कारण उनका कार्यकाल स्वतः ही बढ़ा दिया गया था।

वह अपने पूरे कार्यकाल में कभी विवादों में नहीं रहीं। वह आदिवासी मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, झारखंड के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर हमेशा सतर्क रहती थीं। कई मौकों पर उन्होंने संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ राज्य सरकारों के फैसलों में हस्तक्षेप किया। विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान राज्य के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रति-कुलपति के रिक्त पदों पर नियुक्ति की गई।