देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

दिल्ली से कोटद्वार जा रही रोडवेज बस में आठ यात्री बेटिकट पकड़े गए । यात्रियों ने प्रवर्तन दल को बताया कि ऑपरेटर ने मशीन खराब होने का हवाला देकर उन्हें हाथ से बने टिकट दिए थे। सभी यात्रियों ने ऑपरेटर को पूरा किराया दिया था। प्रवर्तन दल ने बस संचालक के खिलाफ मुख्यालय व संभागीय प्रबंधक को रिपोर्ट भेज दी है.

कोटद्वार डिपो की एक साधारण बस (UK07PA-4254) रविवार रात दिल्ली से कोटद्वार जा रही थी। बस में चालक प्रमोद डोबरियाल और परिचालक सुखविंदर सिंह तैनात थे। इस बस के बेटिकट दौड़ने की लगातार शिकायत पर मुख्यालय से देर रात विशेष प्रवर्तन टीम भेजी गई । टीम ने बीच रूट पर बस की जांच की तो उसमें आठ यात्रियों के फर्जी टिकट मिले।

दो यात्री दिल्ली से नजीबाबाद, दो यात्री दिल्ली से बिजनौर, एक यात्री दिल्ली से मीरापुर, एक यात्री मोहननगर से रामराज, एक यात्री मेरठ से बहसुमा और एक यात्री मेरठ से मवाना का था। कुल 1226 टिकट रु. के बेटिकट पकड़े गए। रोडवेज मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार परिचालक सुखविंदर सिंह के खिलाफ पूर्व में आधा दर्जन से अधिक बेटिकट के मामले दर्ज हैं. इन मामलों में उन्हें ऋषिकेश और हरिद्वार से भी सस्पेंड किया गया है। वह रेगुलर ऑपरेटर है।

आखिर ये नियम किस लिए हैं?

रोडवेज के नुकसान से निजात दिलाने और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए प्रबंधन ने कार्रवाई के नियम बनाए हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता। टिकट पर सीधे ड्राइवर और परिचालक के खिलाफ एफआईआर का प्रावधान है, लेकिन एफआईआर कभी नहीं होती है। यही कारण है कि रोडवेज लगातार प्रभावित हो रहा है और आर्थिक घाटा कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। बिना टिकट यात्रा पर अंकुश लगाने के लिए 15 जुलाई 2016 को नियम और कानून लागू किए गए थे।