पिथौरागढ़, PAHAAD NEWS TEAM

पिथौरागढ़ के मनीष कसनियाल ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह की थी. इसके बावजूद मनीष को राज्य सरकार की ओर से कोई सम्मान नहीं मिला, जिससे मनीष निराश हैं. मनीष का कहना है कि एवरेस्ट फतह करना बेहद चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उन्हें अन्य खिलाड़ियों की तरह प्रोत्साहित किया जाए। ताकि एडवेंचर स्पोर्ट्स महज मजाक या मनोरंजन न रह जाए।

आपको बता दें कि भारतीय एवरेस्ट मैसिफ अभियान के तहत पर्वतारोहण टीम में चुने जाने पर मनीष ने भारत की टीम का नेतृत्व किया और टीम लीडर की भूमिका निभाई। उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट 8848.86 मीटर पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करके उत्तराखंड का सम्मान बढ़ाया। उन्हें राज्य का पहला छात्र और सबसे कम उम्र का युवा बनने का सौभाग्य मिला और राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया के माध्यम से चयनित होने के बाद भारतीय पर्वतारोहण टीम में चयनित हो गए।

मनीष ने बताया कि इससे पहले 1993 में राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया के जरिए एवरेस्ट पर चढ़ाई की गई थी। उन्होंने कहा कि वह उत्तराखंड के सभी विश्वविद्यालयों के पहले एवरेस्ट विजेता छात्र रहे हैं। वह दुनिया में मानवता के लिए कार्य कर रहे विश्व रेडक्रॉस के प्रथम स्वयंसेवक और लेक्चरर भी हैं। इसके लिए उन्हें रेड क्रॉस इंडिया ने नॉमिनेट किया है। इन सभी उपलब्धियों को हासिल करने के बाद भी सरकार ने अब तक इन्हें प्रोत्साहित नहीं किया है. जैसे अन्य खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाता है। छह माह बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से इन्हें प्रोत्साहन नहीं दिया गया है।

आपको बता दें कि यह अभियान 75 दिनों का था और 1 जून 2021 को मनीष ने एवरेस्ट फतह किया था। जबकि 27 मार्च 2021 को केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने अभियान दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. आइस संस्था के पर्वतारोही मनीष कसनियाल ने 2018 में वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया भी अपने नाम कर चुके है। उन्होंने सबसे कम उम्र में नंदा लपाक पर्वत की अननेम्ड चोटी को फतह किया था । वहीं मनीष ने एवरेस्ट मिशन को जीतकर ये साबित कर दिया कि अगर हौसले में उड़ान हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता है .