रुद्रपुर , पहाड़ न्यूज टीम

पैसे की बर्बादी का जीता जागता उदाहरण ऊधमसिंह नगर जिले में देखने को मिल रहा है. यहां पर्यटन विभाग ने 14 करोड़ की लागत से बौर जलाशय को पर्यटन के लिए विकसित किया था। लेकिन त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्री पद से हटते ही यह प्रोजेक्ट भी अधर में लटक गया है। आलम यह है कि पर्यटकों के ठहरने के लिए कॉटेज, रेस्टोरेंट, स्विमिंग पूल सभी जर्जर हालत में पड़े हैं।

गूलरभोज के बौर जलाशय की बेशुमार सुंदरता के साथ-साथ शांत वातावरण यहां आने वाले पर्यटकों को सुकून देता है। जलाशय में चल रही हवाओं और लहरों के बीच बोटिंग का एक अलग ही रोमांच होता है। इसके अलावा पार्क की फुलवारी भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। बौर जलाशय को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 14 करोड़ की लागत से पर्यटकों के ठहरने के लिए कॉटेज, रेस्टोरेंट, स्विमिंग पूल, आर्टिफिशियल वॉल और मोटर बोट खरीदी गई थी ।

पिछली सरकार ने 13 जिलों और 13 डेस्टिनेशन को बौर जलाशय में शामिल किया था और यहां कई काम करने के साथ-साथ पर्यटकों को लुभाने के लिए राष्ट्रीय कयाकिंग और कैनोइंग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती थीं। लेकिन आज भी यहां पहुंचने के लिए पर्यटकों को कच्ची सड़कों से पहुंचना पड़ता है, पर्यटकों के लिए साफ पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।

जलाशय के पास बने एडवेंचर सेंटर के दरवाजे पर्यटकों के लिए 5 साल से नहीं खोल पाए हैं। पीएसी केंद्र के एक भवन में स्थित है, जबकि नाव संचालक कॉटेज में रह रहे हैं। बाकी इमारतों की हालत खस्ता है और वहां की लाइट और फव्वारे की हालत खस्ता है। स्वीमिंग पूल में गंदगी है और केंद्र परिसर में झाड़ियां उग आई हैं। पर्यटन अधिकारी पीपीपी मोड से केंद्र संचालित करने की बात कह रहे हैं। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक प्रीतम सिंह ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं.