देहरादून , पहाड़ न्यूज टीम

उत्तराखंड में बदहाली की कगार पर पहुंच चुके फिल्म इंडस्ट्री को बचाने के लिए नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं. उत्तराखंड फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के काम में बदलते समय के साथ दर्शकों ने इसे पसंद करना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी भी उत्तराखंड फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग नीति निर्माताओं की उपेक्षा के कारण निराश हैं। इन दिनों राज्य के विभिन्न स्थानों के सिनेमाघरों में गढ़वाली फीचर फिल्म खैरी का दिन दिखाई जा रही है। इसे देखकर दर्शक कलाकारों के अभिनय की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई भी नेता इस फिल्म को देखना तो दूर नाम तक लेने को तैयार नहीं है.

दरअसल, इन दिनों उत्तराखंड की फिल्म देहरादून के एक निजी मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल में भी दिखाई जा रही है, वहीं बॉलीवुड फिल्म सम्राट पृथ्वीराज चौहान भी उसी मल्टीप्लेक्स में दिखाई जा रही है. यह देखने के लिए कि किस राज्य के मुखिया पुष्कर सिंह धामी पूरे मंत्रिमंडल के साथ पहुंचे थे, लेकिन राज्य के शासकों ने उसी मल्टीप्लेक्स में उत्तराखंड की फिल्म के बारे में पूछने की भी जहमत नहीं उठाई।

बता दें कि गढ़वाली फीचर फिल्म ‘खैरी का दिन’ के डायरेक्टर प्रोड्यूसर गजेंद्र सिंह चौहान ने अपनी पूरी यूनिट और कास्ट के साथ 7 दिनों तक इसे कोटद्वार में प्रदर्शित किया था. उसके बाद पिछले चार दिनों से देहरादून के राजपुर रोड स्थित मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल में फिल्म दिखाई जा रही है. दर्शक अपने राज्य की फिल्म को इस तरह पसंद कर रहे हैं कि जहां कोटद्वार में इसका 7 दिन का शो भरा हुआ है, वहीं देहरादून में भी 4 दिनों तक फिल्म के शो फुल रहे हैं. अब शो के अगले दो दिनों के टिकट भी बुक हो गए हैं।

दर्शकों के इस प्यार से फिल्म से जुड़े लोग काफी उत्साहित हैं. उनका कहना है कि उत्तराखंड फिल्म के मार्केटिंग सिस्टम को बदलकर उन्हें सकारात्मक रुझान मिल रहा है। इस बीच पहाड़ के विकास और यहां की संस्कृति और लोक भाषाओं की रक्षा का दावा करने वाले शासकों का रवैया देखकर लोक कलाकारों का दिल टूट गया। हाल ही में इस मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी पूरी कैबिनेट के साथ बॉलीवुड फिल्म सम्राट पृथ्वीराज देखने पहुंचे, लेकिन अपने राज्य की फिल्म के बारे में पूछने की जहमत नहीं उठाई.

उत्तराखंड फिल्म उद्योग के निदेशक गजेंद्र चौहान का कहना है कि आज तक उत्तराखंड सरकार ने स्थानीय फिल्मों में सहयोग नहीं किया है। अगर वे सहयोग नहीं कर सकते थे, तो उन्हें उम्मीद थी कि राज्य के मुखिया उनके काम को प्रोत्साहित करेंगे, लेकिन वे भी ऐसा नहीं कर सके। उन्होंने मांग की है कि उन्हें न केवल फिल्म टैक्स फ्री बल्कि थिएटर भी उपलब्ध कराया जाए।

वहीं फिल्म से जुड़े कलाकारों का कहना है कि हर साल लोक संस्कृति के नाम पर सरकार और संबंधित उत्तराखंड संस्कृति विभाग लाखों का बजट खर्च करता है, लेकिन आज भी कलाकार आपस में पैसे जोड़कर फिल्में बना रहे हैं. ऐसे में उनका भी ख्याल रखना चाहिए। वहीं दर्शकों ने कहा कि अब उत्तराखंड फिल्म की कहानियां और कलाकारों के काम को पसंद किया जा रहा है. अब अगर सरकार उन्हें प्रोत्साहित करे तो हम देश-विदेश में अपना नाम कमा सकते हैं।

बता दें कि यह गढ़वाली फीचर फिल्म खैरी का दिन माहेश्वरी फिल्म्स के बैनर तले बनाई गई है। जिसमें अभिनेता राजेश मालगुडी और गीता उनियाल ने मुख्य किरदार निभाया है। फिल्म की पृष्ठभूमि पारिवारिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास पर आधारित है, जो फिल्म पहाड़ की कठिन परिस्थितियों और मुद्दों के बारे में आवाज उठाती है।

फिल्म में पूजा काला, रोशन उपाध्याय, बसंत घिल्डियाल, पुरुषोत्तम, रमेश रावत, रविंद्र चौहान, शिवांगी नेगी, गीता भंडारी के अलावा बाल कलाकार गरिमा बलोदी, प्रज्ज्वल और आयुश ममगाईं ने अभिनय किया है।